बड़ा खुलासाः इन्हें पता ही नहीं कहां कितने मजदूर फंसे हैं, लॉकडाउन का असर

देशभर से कोरोना का कहर थमने को नाम नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से लॉकडाउन की अवधि को फिर से बढ़ा दिया गया है।

Update: 2020-05-07 03:54 GMT

नई दिल्ली: देशभर से कोरोना का कहर थमने को नाम नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से लॉकडाउन की अवधि को फिर से बढ़ा दिया गया है। इस बीच देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवाशी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा ट्रेन भी चलायी जा रही है। लेकिन पहली बार लागू लॉकडाउन की खबर सुन कर कुछ प्रवासी मजदूर रहे सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही चल पड़े।

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इस बीच कुछ मजदूरों ने बीच में ही दम तोड़ दिया तो कुछ ने क्वरंटीन समय में। इन मजदूरों के लिए काम कर रही संस्था एकता परिषद ने ऐसे ही करीब 37,000 लोगों का आंकड़ा इकट्ठा किया। टीम की प्रमुख रमेश शर्मा ने कहा कि हमने उन मजदूरों को ट्रैक करना शुरू किया जो लॉकडाउन से घबराकर घरों के लिए निकल पड़े थे।

हमरी टीम ने श्रमिकों के पास मौजूद राशि, खाना कितने दिन का है, या कितने पहर के लिए है? मोबाइल बैलेंस, उन्हें कितनी दूर जाना है? आदि जानकारियां उनसे मांगी। इस दौरान कुछ दुखी करने वाली कहानियां भी सामने आयीं। पैदल निकल पड़े कुछ मजदूरों के समूह ऐसे थे जिनके साथ गर्भवती महिलाएं भी थीं। कई समूहों में बुजुर्ग और बीमार लोग भी थे। कई लोग ऐसे भी थे जिनके पास पैसे और खाना खत्म हो चुका था।

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केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाले मुख्य श्रमायुक्त ने अफरा-तफरी में 8 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर दिया। इस सर्कुलर के अनुसार देशभर में मौजूद 20 सेंटर्स के रीजनल श्रमायुक्तों को खुद के संसाधनों का इस्तेमाल कर 3 दिन के अंदर यानी 11 अप्रैल को लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की गणना करने का आदेश दिया गया।

जिसमें आंकड़ा जिलेवार और राज्यवार इकट्ठे करने थे। इसके लिए एक फॉर्मेट भी दिया गया था। कुछ सेक्टर्स की लिस्ट भी दी गई थी जिनमें प्रवासी मजदूर काम करते हैं।

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव के वेंकटेश नायक ने RTI के तहत मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय से राज्यों द्वारा एकत्र किए गए प्रवासी मजदूरों के बारे में 4 अप्रैल को जानकारी मांगी, जिसका जवाब करीब महीने भर बाद 5 मई को आया। मांगे गए पांच सवालों के जवाब केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने संक्षिप्त में दिया कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी के मुताबिक हमारे पास कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आंकड़ा हमारे पास नहीं है। हम इस विषय पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं है।

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