आतंकियों पर बड़ी खबर: घाटी में जारी सर्च ऑपरेशन, हाई-अलर्ट पर पूरा गांव

जम्मू-कश्मीर के बारामूला में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली है, जिसके तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। यहां जिले के जिस गांव में आंतकवादी छिपे हैं, वहां पर भारतीय सुरक्षाबलों ने प्रवेश और द्वार बंद कर दिये है। इसके साथ ही डेर टू डोर तलाशी ली जा रही है। 

Update: 2021-03-05 05:38 GMT
जम्मू के बारामूला जिले में गांव के सभी प्रवेश और निकास द्वार सील कर दिये गए हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) आतंकियों की नापाक हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

जम्मू: जम्मू-कश्मीर से बड़ी खबर आ रही है। बारामूला में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली है, जिसके तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। यहां जिले के जिस गांव में आंतकवादी छिपे हैं, वहां पर भारतीय सुरक्षाबलों ने प्रवेश और द्वार बंद कर दिये है। इसके साथ ही डेर टू डोर तलाशी ली जा रही है। घाटी में आतंकियों के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले के कलंतरा क्रेरी इलाके में शुक्रवार सुबह सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान शुरू किया है। 29 आरआर, एसओजी व सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से क्षेत्र में आतंकवादियों के इनपुट के बाद कलंतरा क्रेरी गांव से घेर लिया है।

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आतंकी नेटवर्क को खत्म करने पर बड़ा एक्शन

जिले में गांव के सभी प्रवेश और निकास द्वार सील कर दिये गए हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों हर घर की तलाशी ले रहे हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) आतंकियों की नापाक हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। लेकिन सीमा पर डटे सेना के जवान में आतंकियों की एक भी साजिश को कामयाब नहीं हो दे रहे हैं।

ऐसे में दूसरी तरफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भले ही भारत के साथ बातचीत का मार्ग अपना रहे हों, लेकिन अपनी सरजमीं से आतंकी नेटवर्क को खत्म करना ही उनकी गंभीरता का लिटमस टेस्ट होगा।

फोटो-सोशल मीडिया

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NIA) और बैक चैनल के जरिये विभिन्न स्तर पर चल रही वार्ता में भारत ने एक बार फिर अपना नया रुख साफ कर दिया है। वहीं भारत का साफ तौर पर कहना है कि हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी सरगनाओं का सफाया ही यह तय करेगा कि बाजवा की बातचीत की पहल गंभीर कदम है या फिर मात्र छलावा।

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सैन्य नेतृत्व पर भरोसा

इस बारे में वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जहां तक मौजूदा भारत-पाकिस्तान की बातचीत का सवाल है तो जनरल बाजवा की विश्वसनीयता इमरान खान से ज्यादा मानी जा रही है। लेकिन यह अफसोसजनक है कि एक लोकतांत्रिक देश को दूसरे देश की चुनी हुई सरकार की जगह वहां के सैन्य नेतृत्व पर भरोसा करना पड़ रहा है।

इस बारे में सेना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीते साल हुए संघर्ष विराम उल्लंघन के पीछे मुख्य वजह कश्मीर घाटी में आतंकवादी भेजना था। भारतीय सेना ने इस बार अप्रत्याशित जवाबी कार्रवाई की जिसकी पाकिस्तान की सेना को उम्मीद नहीं थी।

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