कोर्ट का बड़ा फैसलाः पैंट की चैन खोलना अब यौन शोषण नहीं, आरोपी हुए आजाद

यौन शोषण के मामले में बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने माना है कि POCSO अधिनियम 2012 'यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के तहत' एक लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा।

Update: 2021-01-28 06:36 GMT
यौन शोषण के मामले में बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने माना है कि POCSO अधिनियम 2012 'यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के तहत' एक लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा।

मुंबई। पाक्सो अधिनियम को बंबई हाईकोर्ट में नया फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने माना है कि POCSO अधिनियम 2012 'यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के तहत' एक लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा। इस मामले में सिंगल बेंच ने पाया कि आईपीसी(IPC) की धारा 354-ए (1) (i) के तहत ऐसा करना 'यौन उत्पीड़न' के दायरे में आता है। ऐसे में 50 वर्षीय व्यक्ति को 5 साल की बच्ची से छेड़छाड़ के लिए दोषी ठहराए जाने की सजा और सजा के खिलाफ आपराधिक अपील पर जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है।

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'यौन शोषण' का मामला

ऐसे में सत्र न्यायालय इसी मामले में आरोपी को दोषी बताया गया था, और उसे पाक्सो (POCSO) की धारा 10 के तहत दंडनीय 'यौन उत्पीड़न' मानते हुए 6 महीने के लिए एक साधारण जेल के साथ 5 साल के कठोर कारावास और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

लेकिन जस्टिस गनेडीवाला ने पाक्सो(POCSO) अधिनियम की धारा 8, 10 और 12 के तहत दोषी ठहराए जाने को करते हुए मामले के आरोपी को धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी ठहराया। जिसके चलते अधिकतम तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है।

हालाकिं इस मामले में बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने पाया कि ये मामला 'यौन शोषण' का मामला है न कि 'यौन उत्पीड़न' का है। उन्होंने कहा कि ये मामला IPC की 'धारा 354A (1) (i) के तहत आता है।

फोटो-सोशल मीडिया

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महिला पर अश्लील टिप्पणी करना

वैसे तो 354A 1(i) के तहत किसी महिला को गलत नजरिए से छूना या उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहना है। या फिर इच्छा के खिलाफ अश्लील साहित्य या किताबें दिखाना अथवा महिला पर अश्लील टिप्पणी करना शामिल है।

बता दें, पुलिस ने पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एक मामला दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था कि उसने देखा कि आरोपी की पैंट ज़िप खुला हुआ था और आरोपी ने बेटी का हाथ पकड़ा हुआ था। फिर उसने ये भी गवाही दी कि उसकी बेटी ने बताया कि आरोपी ने सोने के लिए बिस्तर पर आने को कहा। जिसके आधार पर इस मामले में सुनवाई हुई है।

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