Ram Mandir Inauguration: अब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बदले सुर, कहा- ‘मोदी के पीएम बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया’

Ram Mandir Inauguration: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल-फिलहाल में काफी तीखे बयान दिए हैं और पीएम मोदी पर निशाना भी साधा है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2024-01-22 09:15 IST

Ram Mandir Inauguration (Photo:Social Media)

Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियों के बीच पिछले कुछ दिनों से शंकराचार्यों की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा बन रही थी। सनातन धर्म में सर्वोच्च स्थान रखने वाले चारों शंकराचार्य ने इस कार्यक्रम से दूरी बना रखी है। ऐसे में जब देश – विदेश के तमाम मेहमान जो विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं, अयोध्या पहुंच रहे हैं लेकिन शंकराचार्यों की अनुपस्थिति थोड़ी असहज करने वाली है। इतना ही नहीं दो शंकराचार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राम मंदिर ट्रस्ट पर लगातार हमलावर भी रहे।

इनमें उत्तराखंड के ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती शामिल हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल-फिलहाल में काफी तीखे बयान दिए हैं और पीएम मोदी पर निशाना भी साधा है। लेकिन अब उनके सुर बदले नजर आ रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से ऐन पहले उन्होंने प्रधानमंत्री की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।


अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पीएम मोदी की तारीफ की

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है। यह छोटी बात नहीं है। हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है, हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि मोदी के प्रशंसक हैं। हम उनकी प्रशंसा करते हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत में ऐसा कौन सा प्रधानमंत्री है जो इतना बहादुर है और हिंदुओं के लिए दृढ़ता से खड़ा है ? हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो हिंदू भावनाओं का समर्थन करते हैं।

कार्यक्रम का किया था विरोध

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ये बयान उनके उन बयानों से ठीक विपरीत है, जिनमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जरिए राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आधे-अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित करना न्यायोचित और धर्म सम्मत नहीं है।

इतना ही नहीं उन्होंने एक उर्दू अखबार से बात करते हुए ये तक दावा कर दिया था कि रामजन्मभूमि – बाबरी मस्जिद विवाद इसलिए हल हो पाया क्योंकि यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर अपना स्वामित्व छोड़ने का हलफनामा अदालत में दिया था। हालांकि, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मैरिट के आधार पर फैसला सुनाया था।

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