Sharad Pawar: NCP के बागियों के खिलाफ शरद पवार की नई रणनीति, रैलियों में घेरने के साथ नए चेहरों को आगे लाने पर फोकस

Sharad Pawar News: कई पुराने दिग्गजों के अलग हो जाने के बाद शरद पवार ने विभिन्न इलाकों में नए चेहरों को महत्व देने का फैसला किया है।

Update:2023-08-20 13:55 IST
Sharad Pawar Politics (photo: social media )

Sharad Pawar Politics: एनसीपी में बगावत के बाद बागी खेमे के खिलाफ अपनी ताकत दिखाने के लिए शरद पवार इन दिनों नई रणनीति पर अमल करते हुए दिख रहे हैं। शरद पवार ने अब कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर राज्य के महत्वपूर्ण इलाकों में पार्टी की बड़ी रैलियां आयोजित की रणनीति बनाई है। इस रणनीति पर अमल भी शुरू कर दिया गया है।

इन रैलियों के जरिए शरद पवार अपनी ताकत दिखाने के साथ ही नए युवा चेहरों और महिलाओं को आगे लाने पर फोकस कर रहे हैं। कई पुराने दिग्गजों के अलग हो जाने के बाद शरद पवार ने विभिन्न इलाकों में नए चेहरों को महत्व देने का फैसला किया है। इस रणनीति को कामयाब बनाने के लिए वे खुद पूरी सक्रियता के साथ जुटे हुए हैं।

महत्वपूर्ण इलाकों में आयोजित होगी रैलियां

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार ने अपनी रैलियों के लिए ऐसी जगहों का चयन किया जो सियासी नजरिए से अहम मानी जाती हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने गत 17 अगस्त को मराठवाड़ा में सियासी नजरिए से अहम माने जाने वाले बीडीओ इलाके में बड़ी रैली की थी। अब उन्होंने थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर तीन और इलाकों में रैली करके अपनी ताकत दिखाने का फैसला किया है। एनसीपी की ओर से आने वाले दिनों में पुणे के कोल्हापुर, जलगांव और मंचर में रैलियां आयोजित करने का फैसला किया गया है।

एनसीपी से बगावत कर के कैबिनेट मंत्री बनने वाले हसन मुश्रीफ का गृह जिला कोल्हापुर ही पड़ता है। जलगांव को उत्तरी महाराष्ट्र में राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। जलगांव शरद पवार के वफादार एकनाथ खडसे का गृह जिला है। खडसे ने भाजपा छोड़कर एनसीपी की सदस्यता ग्रहण की थी। मंचर का चयन भी काफी सोच-समझकर किया गया है। यह बागी मंत्री और शरद पवार के पूर्व करीबी दिलीप वाल्से पाटिल के अंबेगांव विधानसभा सीट में पड़ता है। यहां पर रैली करके शरद पवार पाटिल को घेरने का प्रयास करेंगे।

युवाओं और महिलाओं को आगे लाने पर फोकस

दरअसल पवार अब रणनीतिक तरीके से एनसीपी पर अपना प्रभुत्व कायम रखने और बागियों को सबक सिखाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। शरद पवार की रणनीतिक योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक टीम का गठन किया गया है। इस टीम में शामिल एक नेता का कहना है कि अब लंबे अंतराल की जगह कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों पर रैलियों का आयोजन करने का फैसला किया गया है।

एनसीपी नेता ने कहा कि बीड रैली का फीडबैक काफी अच्छा रहा है और आसपास के अन्य इलाकों पर भी इस रैली का असर दिखा है। अब कई इलाकों के लोगों ने इस बात की इच्छा जताई है कि उनके इलाकों में पवार की रैलियों का आयोजन किया जाना चाहिए। इसीलिए पार्टी ने इस दिशा में कदम उठाते हुए नए इलाकों में रैलियां आयोजित करने का फैसला किया है।

शरद पवार के सामने सियासी वजूद बचाने की चुनौती

एनसीपी सूत्रों का कहना है कि शरद पवार अब पार्टी में नए युवा और महिला चेहरों को सामने लाने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। इन रैलियों में ऐसे चेहरों को महत्व दिया जाएगा और आने वाले दिनों में ऐसे लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देने का भी फैसला किया गया है। एनसीपी सूत्रों के मुताबिक बीड की रैली में रोहित पवार को काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। अब आने वाले दिनों में आयोजित होने वाली रैलिया में अन्य युवा चेहरों को बढ़ावा दिया जाएगा।

अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी में हुई बगावत के बाद अब शरद पवार के सामने अपना सियासी वजूद बचाए रखने की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। चाचा और भतीजे का यह झगड़ा अब चुनाव आयोग की दहलीज पर भी पहुंच चुका है और आयोग की ओर से नोटिस जारी करके दोनों गुटों से जवाब मांगा गया है। आयोग में लड़ाई लड़ने के साथ ही शरद पवार महाराष्ट्र में अपनी सियासी जमीन बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और इसी सिलसिले में वे अब काफी सक्रिय दिख रहे हैं।

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