Opposition Unity: शरद पवार विपक्षी एकता को लेकर आश्वस्त नहीं,कहा-कई राज्यों में आपस में ही दिख रहा टकराव

Opposition Unity: अजित पवार की अगुवाई में एनसीसी में हुई बगावत के बाद शरद पवार खुद बड़ी मुश्किलों में फंस गए हैं। अब उन्होंने विपक्षी एकजुटता पर शंका जताते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।

Update:2023-07-18 12:42 IST
Sharad Pawar Not Convinced About Unity of Opposition (Photo: Social Media)

Oppositiion Unity: बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने बड़ा बयान दिया है। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पवार आज बेंगलुरु पहुंचे हैं। अजित पवार की अगुवाई में एनसीसी में हुई बगावत के बाद शरद पवार खुद बड़ी मुश्किलों में फंस गए हैं। अब उन्होंने विपक्षी एकजुटता पर शंका जताते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष की एकजुटता की दिशा में कई राज्यों में परेशानियां दिख रही हैं और इन परेशानियों की अनदेखी नहीं की जा सकती। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 2024 की सियासी जंग के दौरान भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को हराने के लिए विपक्षी दलों का एकजुट होना जरूरी है।

विपक्षी एकजुटता की राह में मुश्किलें

पवार ने हाल में एक अखबार को दिए इंटरव्यू के दौरान विपक्ष की एकजुटता पर भी विस्तृत चर्चा की है। उन्होंने कहा कि देश के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता काफी जरूरी है और सभी लोग इस बात को गहराई से महसूस कर रहे हैं। वैसे इसके साथ इस बात को समझना भी जरूरी है कि विपक्षी दलों की एकजुटता इतनी आसान नहीं है, जितनी समझी जा रही है। चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष को निश्चित रूप से एकजुट होना होगा, लेकिन इस राह में आने वाली परेशानियों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इन मुश्किलों से पार पाना भी आसान नहीं होगा।

पश्चिम बंगाल और केरल का किया जिक्र

पवार ने पश्चिम बंगाल का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस आमने-सामने हैं और लगातार एक दूसरे पर हमला करते रहे हैं। केरल में भी वामपंथी दलों और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा है। इस कारण इन मुद्दों को न सुलझाने पर चुनाव के बाद विपक्षी एकता की संभावनाओं के बारे में सोचना होगा। ऐसी स्थिति में हमें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सियासी हालात देखने को मिल सकते हैं।

पवार ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश इस बात की है कि भाजपा को मतों के बंटवारे का फायदा न मिल सके। उन्होंने कहा कि कई सीटों पर भाजपा विपक्षी मतों में बंटवारे का फायदा उठाते हुए जीत हासिल करने में कामयाब रही है और इस पर रोक लगाने की जरूरत है।

टीएमसी से कांग्रेस-सीपीएम के रिश्ते अच्छे नहीं

पवार ने पश्चिम बंगाल का जिक्र किया है और पटना की बैठक से लौटने के बाद ही टीएमसी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर हमला बोला था। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी बीच-बीच में टीएमसी के खिलाफ तल्ख टिप्पणियां करते रहे हैं। पश्चिम बंगाल में हाल में हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।

इसके साथ ही पश्चिम बंगाल में सीपीएम और टीएमसी के रिश्ते भी सहज नहीं हैं। वामदलों को सत्ता से बेदखल करने के बाद ही ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुई थीं। इसी कारण वामदल भी ममता बनर्जी के खिलाफ हमेशा मोर्चा खोले रहते हैं। पवार ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता और सीपीएम कभी एक नहीं हो सकते। बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस के साथ अन्य धर्मनिरपेक्ष दल होंगे जो भाजपा और टीएमसी के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।

एनसीपी में बगावत के बाद पवार खुद मुश्किल में फंसे

पवार का यह बयान सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि बेंगलुरु की बैठक में हिस्सा लेने वाले कई दल आपस में ही उलझे हुए हैं। ऐसे में सीट शेयरिंग का फार्मूला तय करना भी आसान नहीं माना जा रहा है। बिहार में पिछले दिनों जदयू और राजद के बीच तनातनी की खबरें थीं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनसीपी मुखिया शरद पवार विपक्षी एकजुटता के सूत्रधार माने जा रहे हैं मगर पवार एनसीपी में बगावत के बाद अपना सियासी वजूद बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

अजित पवार की अगुवाई में पार्टी के कई विधायकों ने बगावत करते हुए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है। अब शरद पवार खुद ही सियासी भंवर में फंस गए हैं और उनकी आगे की सियासी राह मुश्किल मानी जा रही है।

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