Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे को लगा एक और झटका, वानखेड़े की पिच खोदने वाले नेता ने छोड़ा साथ

Maharashtra Politics: पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक शिशिर शिंदे ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया है। शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) से अपना इस्तीफा उद्धव ठाकरे के पास भेज दिया है।

Update: 2023-06-18 05:07 GMT
Shishir Shinde Resignation, Shivsena (Photo: Social Media)

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक शिशिर शिंदे ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया है। शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) से अपना इस्तीफा उद्धव ठाकरे के पास भेज दिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी न मिलने की शिकायत की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले छह महीने के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद ठाकरे से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।

शिंदे को शिवसेना का तेजतर्रार नेता माना जाता रहा है। उन्होंने 1991 में भारत-पाक पाकिस्तान मैच रोकने के लिए मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की पिच तक खोद डाली थी। अब उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री को करारा झटका दिया है।

पार्टी में नहीं मिला कोई काम

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पार्टी विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे अपनी सियासी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं मगर पार्टी नेता शिशिर शिंदे का इस्तीफा उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उद्धव ठाकरे को भेजे गए अपने इस्तीफे में शिशिर शिंदे ने कहा कि ठाकरे राज में उन्हें करने के लिए मनचाहा काम नहीं मिल पा रहा था।
उन्होंने कहा कि चार साल तक पार्टी में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई और फिर उसके बाद एक अलंकारिक पद दिया गया। पार्टी का उपनेता बने हुए उन्हें एक साल से अधिक समय हो गया है मगर उन्हें करने के लिए कोई काम नहीं सौंपा गया।

ठाकरे से मुलाकात करना असंभव

शिंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ भी तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने के दौरान उन्होंने ठाकरे से मुलाकात करने की कई बार कोशिश की मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी। ठाकरे से मिलना पूरी तरह असंभव हो गया था। ऐसे में इस पार्टी में काम करने का मेरे लिए कोई मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि हर कार्यकर्ता में कुछ गुण होते हैं और हर कार्यकर्ता की कुछ पहचान होती है। पिछले चार वर्षों के दौरान मेरी उपलब्धियों और संगठनात्मक कौशल की लगातार उपेक्षा की गई और मुझे कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई।

पिच खोदकर चर्चा में आए थे शिंदे

शिंदे का इस्तीफा उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका माना जाता जा रहा है क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र का तेजतर्रार नेता माना जाता रहा है। शिंदे 1991 में तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर भारत-पाकिस्तान मैच रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की पिच खोद डाली थी। उनकी ओर से उठाया गया यह कदम राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बना था। बाद में उन्होंने शिवसेना से इस्तीफा देकर राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की सदस्यता ले ली थी।

2009 में वे भांडुप से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। हालांकि 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में वे शिवसेना में वापस लौट आए थे। एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उन्हें शिवसेना का उपनेता बनाया गया था मगर अब उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर उन्हें करारा झटका दिया है। अब सबकी निगाहें शिशिर शिंदे के अगले सियासी कदम पर लगी हुई हैं।

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