सिंधिया ने जमीनी कार्यकर्ता को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

Update:2018-07-06 13:11 IST

भोपाल: कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ में आने के बाद पार्टी की कार्यशैली में बदलाव नजर आने लगा है, मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समिति का समन्वयक एक जमीनी कार्यकर्ता को बनाया है।

आमतौर पर माना जाता है कि कांग्रेस में राजनीति वही व्यक्ति कर सकता है, जिसका कोई गॉडफादर हो, पद और टिकट उसी व्यक्ति को मिलता है तो खानदानी या राजनेता का करीबी हो, मगर बीते दिनों हुए कुछ फैसले इससे इतर रहे हैं। युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव यादव को बनाया गया जो लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम करते रहे थे। फिर उन्हें मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था और अब सिंधिया ने प्रचार अभियान समिति का समन्वयक मनीष राजपूत को बनाया है।

कांग्रेस के प्रचार अभियान समिति के सदस्य और विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि समिति की बैठक में निर्णय हुआ है कि प्रचार के लिए निचले स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी। राजपूत की पहचान राज्य आदिवासी इलाकों में एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है, वे लगभग 25 साल से अधिक समय से इस खेत्र में काम कर रहे हैं, वे एकता परिषद् के राजनीतिक समन्वयक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वे पी.वी. राजगोपाल के करीबियों में गिने जाते हैं।

राजपूत अरसे से सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना और विधानसभा चुनावों में जमीनी काम करते रहे हैं। हाल ही में कोलारस और मुंगावली के विधानसभा उपचुनाव के दौरान उन्होंने सहरिया आदिवासियों के बीच शराब बंदी अभियान चलाया था, जिसमे 100 से अधिक गांव में लोगों ने शराब छोडऩे के साथ पैसा बांटने वाले को वोट न देने का संकल्प लिया था।

कांग्रेस राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन लोगों पर दाव लगाने की तैयार कर रही है, जिनकी जमीन पर पकड़ है और जिनका कोई गॉड फॉदर नहीं है। इसके साथ ही समाज के विभिन्न वर्गो से जुड़े लोगों केा भी पार्टी से जोडऩे की रणनीति बन रही है, इतना ही नहीं पार्टी जमीनी स्तर पर उन कार्यकर्ताओं की तलाश में लगी है, जो अरसे से उपेक्षित हैं।

ईवीएम एक्सपर्ट्स पर संदेह

मध्य प्रदेश में पांच महीने बाद चुनाव होना है। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में 16 ईवीएम विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है। कांग्रेस इन नियुक्तियों को संदेह की नजर से देख रही है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सवाल उठाया है कि ‘क्या देश में ईवीएम के एक्पर्ट सिर्फ गुजरात में ही हैं?’ अजय सिंह ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख लिखकर यह सवाल उठाया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि गुजरात से 16 ईवीएम विशेषज्ञों को मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में भेजा गया है। प्रदेश में वर्ष 2018 के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ईवीएम के परिणामों पर पूरे देश में संदेह और सवाल उठते रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पूर्व सिर्फ गुजरात से ही 16 ईवीएम के विशेषज्ञों को भेजना शक के दायरे में आता है।

सिंह ने पत्र में लिखा, ‘ईवीएम के विशेषज्ञ शायद सिर्फ गुजरात में ही नहीं हैं, देश के अन्य राज्यों में भी हैं। क्या कारण है कि सिर्फ गुजरात के ही लोगों को यहां भेजा गया है?’ सिंह ने अपने पत्र में आग्रह किया है कि वे गुजरात से आए विशेषज्ञों के बदले देश के अन्य राज्यों, विशेषकर गैर भाजपा शासित राज्यों के विशेषज्ञों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भेजें, ताकि चुनाव निष्पक्ष व स्वतंत्र तरीके से हो सके और वे ही चुने जाएं, जिन्हें मतदाता अपना मत दे।

जो अब तक नहीं हुआ, वह कर दिखाएंगे: शिवराज

सागर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के चौदहवें साल में दावा किया कि, ‘जो अब तक कभी नहीं हुआ, वो हम कर दिखाएंगे। खेती और सिंचाई के मामले में हम मध्यप्रदेश को दुनिया का सर्वोत्तम राज्य बनाएंगे।’ शिवराज ने कहा कि बुंदेलखंड अंचल में वर्तमान में 38 हजार 598 करोड़ रुपये लागत की सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं। इनका काम पूरा होने पर बुंदेलखंड अंचल के पांच जिलों के 25 लाख एकड़ भू-रकबे में सिंचाई होगी।

उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में बंडा, बाणसुजारा, पवई सिंचाई परियाजनाओं पर काम जारी है। केन-बेतवा लिंक परियोजना पर उत्तरप्रदेश से चर्चा चल रही है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के हक का एक-एक बूंद पानी बुंदेलखंड को दिलाने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में प्रस्तावित अन्य सिंचाई परियोजनाओं का भी जल्द ही भूमि-पूजन किया जाएगा। चौहान ने कहा कि बीना नदी संयुक्त सिंचाई परियोजना की एजेंसी तय कर दी गई है। कॉन्ट्रैक्टर भी आ चुका है। अब इस परियोजना पर तेजी से काम पूरा किया जाएगा।

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