सूर्यग्रहण के दौरान तीन ज़िंदा बच्चों को गर्दन तक दफनाया, वजह जान चौंक जायेंगे
सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार की सुबह कलबुर्गी के ताज सुल्तानपुर गांव में तीन दिव्यांग बच्चों को गले तक जमीन में गाड़ा गया। इन बच्चों के परिजनों का मानना था कि ऐसा करने से बच्चों की विकृति दूर हो जाएगी।
कर्नाटक: सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार की सुबह कलबुर्गी के ताज सुल्तानपुर गांव में तीन दिव्यांग बच्चों को गले तक जमीन में गाड़ा गया। इन बच्चों के परिजनों का मानना था कि ऐसा करने से बच्चों की विकृति दूर हो जाएगी।
इस दुर्भाग्यपूर्ण अंधविश्वास के चलते परिजनों ने सूर्य ग्रहण के दौरान अपने बच्चों को घंटों के लिए गले तक जमीन के अंदर गाड़ दिया। इन बच्चों की तस्वीरें सामने आने के बाद उन्हें बहुत शेयर किया जा रहा है। इन तस्वीरों में बच्चों को ऐसे गाड़ा हुआ देखा जा सकता है, जिसमें उनका सिर्फ चेहरा दिख रहा है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद ही बच्चों को वापस निकाला गया। माता-पिता का मानना था कि ऐसा करने से उनके बच्चे विकृति से ठीक हो जाएंगे। गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति से जब घटना का पता चला तो जनवादी महिला संगठन की एक महिला कार्यकर्ता अश्विनी ने इसके बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया।
इसके बाद, पूर्व-विधायक बी आर पाटिल सहित कुछ लोगों की एक टीम मौके पर पहुंची और माता-पिता से बच्चों को बाहर निकालने के लिए कहा।
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खत्म हो चुका है साल 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण
साल 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण खत्म हो चुका है। धनु में छह राशियों के महासंयोग से लगने वाले इस सूर्य ग्रहण से तीन राशियों को आर्थिक लाभ हो सकता है। सूर्य ग्रहण का असर अगले 15 दिनों तक रहने वाला है। सूर्य ग्रहण कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक लाभ दे सकता है।
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ग्रहण का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के साथ अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया।
जब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते हुए देख लिया।
इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहू ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं।
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