India China Clash: तवांग में तनाव के बीच भारतीय वायुसेना का 'दम', जानें चीन सीमा पर गरजने वाले सुखोई और राफेल की खासियत

India China Clash: तवांग में चीनी सेना से झड़प के बाद अगले दो दिनों तक भारतीय वायु सेना सीमा पर युद्धाभ्यास करने जा रही है। जिसमें राफेल और सुखोई- 30MKI का दम दिखेगा।

Written By :  aman
Update:2022-12-15 12:07 IST

Specialties of fighter jets Rafale and sukhoi (Symbolic Image: Social Media)

India China Clash : बढ़ती सर्दियों के बीच भारत और चीन सीमा पर झड़प ने माहौल को गरम कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में इंडियन आर्मी और चीनी सैनिकों के टकराव से तनावपूर्ण स्थिति है। इन्हीं हालातों के बीच भारतीय वायुसेना आज यानी गुरुवार (15 दिसंबर) से पूर्वोत्तर में चीन सीमा के नजदीक दो दिनों का का युद्धाभ्यास करने जा रही है। जिसमें राफेल (Rafale) और सुखोई (Sukhoi) सहित लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट (Frontline Fighter Jet) अपनी ताकत दिखाएंगे। इस युद्धाभ्यास का मकसद भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को दिखाने के साथ-साथ 'ड्रैगन' को सख्त संदेश भी देना है। 

हालांकि, ये युद्धाभ्यास तवांग सीमा पर झड़प से पहले तय थी। इस युद्धाभ्यास में सबकी नजर सुखोई-30MKI और राफेल पर टिकी है। ये दोनों ही भारतीय वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों में शामिल हैं। तो चलिए जानते हैं क्या है इनकी खासियत, जिस वजह से ये अन्य युद्धक विमानों से अलग हैं।  

'सुखोई- 30MKI' है IAF की रीढ़ 

सुखोई-30MKI लंबे समय से भारतीय वायु सेना (IAF) की रीढ़ के रूप में काम करती रही है। सुखोई डिज़ाइन ब्यूरो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा भारतीय वायुसेना के लिए संयुक्त रूप से इस बहु-भूमिका वाले लड़ाकू विमान को विकसित किया गया है। कई पहलुओं में यह विमान भारत द्वारा हाल ही में प्राप्त किए गए फ्रांसीसी राफेल जेट से भी बेहतर माना जाता है।

सुखोई- 30MKI की खासियत 

सुखोई- 30MKI की अधिकतम गति 2 Mach (ध्वनि की गति से दोगुनी) तथा अधिकतम टेक-ऑफ वजन 38.8 टन होना है। इसकी गिनती मौजूदा वक्त में भारतीय वायुसेना के सबसे घातक विमान में होती है। सुखोई 30MKI उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है। इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री ढोने की क्षमता है। साथ ही इसमें डबल इंजन लगे हैं, जो इमरजेंसी के समय पायलट को मदद करते हैं। सुखोई-30 MKI एक बार में 3000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। रूस के सहयोग से भारत द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को विश्व के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है।

भारत के पास 200 से ज्यादा सुखोई- 30MKI 

आपको बता दें, सुखोई- 30MKI को बनाने के लिए भारत और रूस के बीच वर्ष 2000 में समझौता हुआ था। तब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था। रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वदेश निर्मित सुखोई-30MKI को भारतीय वायुसेना में शामिल किया। सुखोई के शामिल होते ही भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई। मौजूदा वक्त में भारत के पास 200 से ज्यादा सुखोई-30 MKI विमान हैं। 

राफेल की खासियत

राफेल विमान एक फ्रांसीसी कंपनी डेसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) को 'ओमनिरोले' विमानों के रूप में रखा गया है। ऐसे विमान युद्ध में अहम भूमिका निभाने में सक्षम होते हैं। यही खूबी इन्हें अन्य लड़ाकू विमानों से अलग करती है। एएफएल सारे काम कर सकती है जैसे- वायु वर्चस्व, हवाई हमले, जमीनी समर्थन, भारी हमला तथा जरूरत पड़ने पर परमाणु प्रतिरोध भी। कुल मिलाकर कहें तो राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान कहा जाता है। 

चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है राफेल

राफेल चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट (Rafale 4th Generation Fighter Jet) है। राफेल विमान कई भूमिका निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट (Combat Fighter Jet) है। राफेल ग्राउंड सपोर्ट (ground support), डेप्थ स्ट्राइक तथा एंटी शिप अटैक में भी सक्षम माना जाता है। इसकी ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये छोटे न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में भी सक्षम हैं। राफेल एयरक्राफ्ट (Rafale aircraft) 9500 किलोग्राम वजन उठाने में भी सक्षम है। ये विमान अधिकतम 24500 किलोग्राम तक वजन के साथ उड़ान भर सकता है। किसी फाइटर प्लेन के लिए बड़ी खासियत से कम नहीं है। राफेल फाइटर जेट की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। एक बार में ये 3700 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है। इतना ही नहीं, राफेल हवा से हवा तथा जमीन दोनों पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है। हाल के वर्षों में चीन के साथ विवाद के मद्देनजर भारत ने इसमें हैमर मिसाइल लगाने का फैसला भी किया है 

अगले दो दिन जब भारतीय वायुसेना चीन सीमा पर अपना दम दिखाएगी तो सबकी नजर सुखोई- 30 MKI और राफेल पर होगी। तेजपुर एयरबेस पर वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट तैनात रहते हैं तो हासिमारा में राफेल लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन तैनात है। इसके अतिरिक्त जोरहाट में अपाचे हेलीकॉप्टर तथा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तैनात रहते हैं। दो दिन तक चलने वाली इस युद्धाभ्यास में हेलीकॉप्टर और मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी हिस्सा लेंगे। इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के एयर डिफेंस सिस्टम भी हिस्सा ले सकते हैं।

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