SSR केस: अब इसका सहारा लेगी CBI, जानें कब पड़ती है इसकी जरूरत
अब सीबीआई सुशांत सिंह मामले की जांच-पड़ताल कर रही है। अब सीबीआई ने इस मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी करने का फैसला लिया है।
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पा रही है। आए दिन इस केस में कोई न कोई नया खुलासा होता रहता है। जिसके चलते ये मामला सुलझने की जगह और मुश्किल होता जा रहा है। इस मामले के काफी ज्यादा सुर्खियां बटोरने के और गंभीर होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने या मामला सीबीआई को सौंप दिया है। अब सीबीआई इस मामले की जांच-पड़ताल कर रही है। अब सीबीआई ने इस मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी करने का फैसला लिया है।
क्या होता है साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी
सीबीआई ने तो इस मामले में साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी करने का फैसला किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर साइकोलॉजिकल ऑटोप्स होता क्या है। तो यहां हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या होता है साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी। तो यहां सबसे पहले हम आपको बता दें कि साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी को आम बोलचाल की भाषा में PA भी कहा जाता है। इसमें शरीर की ऑटोप्स की तरह ही साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी इस बात की व्याख्या करने की कोशिश होती है कि किसी व्यक्ति ने आत्म हत्या करने की कोशिश क्यों की थी।
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इसके लिए इसमें मरने वाले के मेडिकल रिकॉर्ड्स, उसके दोस्तों और परिवारों से बातचीत कर यह शोध किया जाता है कि मरने से पहले व्यक्ति कि मानसिक स्थिति क्या थी। गौरतलब है कि 34 वर्षीय सुशांत 14 जून को अपने मुंबई आवास में मृत पाए गए थे। जिसके बाद शुरुआती जांच में ये सामने आया था कि सुशांत ने आत्महत्या की है। जिसके बाद से ये केस लगातार एक हाईप्रोफाइल केस बनता जा रहा है। अब सूत्रों का कहना है कि यह साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी एक तरह का सुशांत के मन का पोस्टमार्टम होगा।
मानसिक स्थिति का पता लगाने में जुटी सीबीआई
सीबीआई इस केस को अपने कब्जे में लेने के बाद से पूरे ऐक्शन में नज़र आ रही है। सीबीआई पूरे केस के सारे तथ्य जुटाने का प्रयास कर रही है। जिसमें उनके सोशल मीडिया पर हुए चैट्स और बातचीत शामिल है जो उनसे उनके परिवार वालों, मित्रों और दूसरे लोगों ने की थी। वहीं सीबीआई इस मामले में लगातार लोगों से पूछताछ भी कर रही है।
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अब सीबीआई अपनी जांच में सुशांत की मौत के समय उनकी मानसिक स्थिति के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करेगी। सुशांत की मानसिक स्थिति में सीबीआई की दिलचस्पी उनके मूड स्विंग्स, बर्ताव के स्वरूपों और यहां तक कि व्यक्तिगत व्यवहारिक विशेषताओं का भी अध्ययन करेगी। बताया जा रहा है कि सीबीआई का इरादा सुशांत की मौत के समय उनकी मानसिक अवस्था का पूरा खाका पता लगाने का है, जिससे उनकी मौत की स्पष्ट वजह पता चल सके।
इसलिए पड़ी साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी की जरूरत
वैसे आपको बता दें कि हर तरह के केस में साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी ज़रूरी नहीं होती है। लेकिन सुशांत के आत्महत्या करने की बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही है। ऐसे में सीबीआई अब हर तरह से बस ये पता लगाने का प्रयास कर रही है कि सुशांत ने अगर आत्महत्या की तो क्यों की। वैसे आत्महत्या के मामलों में साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी को बहुत अहम उन हालातों में माना जाता है। जब मरने वाले के बारे में किसी को भी अंदाजा न हो कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है।
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ऐसे उसकी मौत के हालातों के बारे में गहराई से अध्ययन कर यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति ने ऐसा कदम उठा क्यों लिया। आमतौर पर आत्महत्या करने वाले लोग अपने आसपास या उन मनोचिकत्सकों को जाने-अनजाने में यह इशारा दे देते हैं कि वे आत्महत्या की कोशिश करने वाले हैं। लेकिन जिनके बारे में कुछ भी अंदाजा न लगा हो, ऐसे में साइकोलॉजीकल ऑटोप्सी एक विकल्प हो जाता है। भारत में इस तरह की विशेष जांच प्रक्रिया तीसरी बार अपनाई जा रही है। इससे पहले सुनंदा पुष्कर मामले में और दिल्ली के बुराड़ी बहुल आत्महत्या मामलों में ही ऐसी जांच की गई थी।