राज्य विधानसभाओं में 2022 में औसतन 21 दिन हुईं बैठकें, 2016 के बाद संख्या में लगातार गिरावट...रिपोर्ट में खुलासा
Report: थिंक-टैंक 'पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देशभर में राज्य विधानसभाओं की बैठकें औसतन 21 दिन हुईं। साल 2016 से राज्य विधानसभाओं की बैठकों की संख्या में लगातार गिरावट आई है।
Report: देशभर में राज्य विधानसभाओं की बैठकें कम हो रही हैं। एक आंकड़े की मानें तो राज्य विधानसभाओं की बैठकें औसतन 21 दिनों के लिए हुईं। हालात आज से नहीं हैं। साल 2016 के बाद से राज्य विधानसभाओं की बैठकों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। थिंक टैंक 'पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च' (PRS Legislative Research) की एक रिपोर्ट में ये जानकारी निकलकर सामने आई है।
विधायी सत्र में ये तीन राज्य रहे अव्वल
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल यानी 2022 में 28 राज्य विधानसभाओं की बैठक औसतन 21 दिन तक चली। दक्षिणी राज्य कर्नाटक (Karnataka Assembly) में सबसे अधिक 45 दिन बैठक हुई। दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल रहा, जहां 42 दिन बैठकें हुई। तीसरे नंबर पर केरल रहा, जहां औसतन 41 दिन विधायी सत्र चले। गौरतलब है कि, अधिकतर राज्यों में विधायिका दो या तीन सत्रों (Sessions) के लिए मिलती है। जनवरी और मार्च के बीच एक लंबा बजट सत्र (Budget Session) चलता है, जिसके बाद मानसून और शीतकालीन सत्र (Monsoon and Winter Session) होते हैं।
बजट सत्र में इन राज्यों में सबसे ज्यादा बैठकें
साल 2022 में 12 राज्यों में केवल दो सत्रों के लिए ही बैठक हुई। इसमें पूर्वोत्तर के 5 राज्य भी शामिल हैं। बजट सत्र के दौरान करीब 61 प्रतिशत बैठकें हुईं। तमिलनाडु विधानसभा (Tamil Nadu Legislative Assembly) ने बजट सत्र में अपनी 90 फीसद से ज्यादा बैठकें आयोजित कीं। बजट सत्र में गुजरात और राजस्थान में 80 फीसदी से अधिक बैठकें की। वहीं, 20 राज्यों में एक बैठक की औसत अवधि 5 घंटे रही। महाराष्ट्र में एक बैठक औसतन 8 घंटे चली, जबकि सिक्किम (Sikkim) में ये सबसे कम महज दो घंटे तक चली।
24 राज्य विधानसभाओं की बैठक औसतन 25 दिन रहा
आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2016 और 2022 के बीच 24 राज्य विधानसभाओं की बैठक औसतन 25 दिनों के लिए ही हुई। केरल में एक साल में सबसे अधिक 48 बैठक दिवस रहे। इसके बाद स्थान ओडिशा का रहा जहां 41 दिन और फिर कर्नाटक का 35 दिन था।
साल दर साल घटती गई बैठकें
कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के कारण 2022 में बैठकों में गिरावट के साथ 2016 से 2022 तक औसत बैठने के दिनों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में 24 राज्यों की विधानसभाओं में औसतन 31 दिन बैठकें हुईं। वहीं, 2017 में 30 दिन, 2018 में 27 दिन और 2019 में 25 दिन बैठकें हुईं थीं। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से बैठकों की संख्या घटकर महज 17 दिन हो गई थी। 2021 में ये थोड़ा बढ़कर 22 दिन रहा।
निर्धारित हो बैठने के दिनों की न्यूनतम संख्या
एनसीआरडब्ल्यूसी (National Commission to review the working of the Constitution) ने सिफारिश की थी, कि राज्य अपने सदस्यों की संख्या के आधार पर अपनी विधानसभाओं के लिए बैठने के दिनों की न्यूनतम संख्या निर्धारित करें। बता दें, ये सीमा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 35 दिनों से लेकर उत्तर प्रदेश में 90 दिनों तक है।
नागालैंड ने एक दिन चर्चा के बाद बजट पारित किया
हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इनमें से किसी भी राज्य ने 2016 के बाद से लक्ष्य को पूरा नहीं किया। संविधान के अनुच्छेद 202 (Article 202) के तहत राज्य सरकारों को हर वर्ष विधानमंडल के समक्ष बजट पेश करना होता है। 20 राज्यों ने 2022 में औसतन 8 दिनों के बजट पर चर्चा हुई। तमिलनाडु ने पूरे बजट चर्चा पर 26 दिन बिताए। जबकि, कर्नाटक ने 15 दिन, केरल ने 14 दिन और ओडिशा ने भी 14 दिन बिताए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, मध्य प्रदेश और पंजाब ने दो-दो दिन अपने बजट पर चर्चा की। नागालैंड ने एक दिन में अपने बजट पर चर्चा की और पारित किया।