सजग रहें और हराएं कोरोना वायरस को
वायरस श्वसन प्रणाली पर हमला करके गंभीर मामलों में फेफड़ों को खराब कर देता है। कोरोना या कोविड-19 वायरस की शुरुआत चीन और खासकर हुबेई प्रांत से हुई। अभी तक रिकार्डेड 89 हजार मामलों में से 83 फीसदी यहीं के हैं।
नीलमणि लाल
लखनऊ: कोरोना वायरस पर पूरी दुनिया में अफरातफरी मची हुई है। 75 देशों में ये वायरस पहुंच चुका है और भारत में भी इसकी दस्तक हो गई है। जबर्दस्त आतंक मचा हुआ है। ये वायरस श्वसन प्रणाली पर हमला करके गंभीर मामलों में फेफड़ों को खराब कर देता है। कोरोना या कोविड-19 वायरस की शुरुआत चीन और खासकर हुबेई प्रांत से हुई। अभी तक रिकार्डेड 89 हजार मामलों में से 83 फीसदी यहीं के हैं। हाल के हफ्तों में चीन में नए संक्रमण और मौतों की संख्या घट रही है जिससे लगता है कि वहां वायरस अपने पीक लेकल पर पहुंच चुका है और इसका प्रसार घट रहा है। लेकिन बाकी दुनिया में संक्रमण के केस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर दक्षिण कोरिया, इटली और ईरान में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। अमेरिका में भी ढेरों केस सामने आ रहे हैं।
सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में कोरोना वायरस मौत की घंटी है? शायद नहीं। दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमण के 92 हजार केस सामने आ चुके हैं। अब तक 3110 मौतें हुई हैं।
किस उम्र पर ज्यादा प्रभाव
चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की मौतों का विश्लेषण करने पर पाया गया है कि सबसे ज्यादा जोखिम वाले 60 से 79 आयु वर्ग के लोग हैं। इनमें भी 70 से 79 उम्र के लोगों के लिए कोरोना सबसे ज्यादा घातक सिद्ध हुआ है। कोरोना वायरस से मरने वालों की तादाद 3.8 फीसदी रही है। लेकिन इसमें वे केस भी शामिल हैं जो संक्रमण फैलने की शुरुआत में वूहान शहर में पाये गये थे। वूहान शहर हुबेई प्रांत में है और पूरे प्रांत में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 1 फीसदी से भी कम रही है।
ये भी देखें: सेक्स से होता है कोरोना! जानें इस बात में कितनी है सच्चाई
- 10- साल से कम उम्र के किसी बच्चे की मौत नहीं हुई।
- 10 से 39 आयु वर्ग में मृत्यु दर 0.2 फीसदी रही है।
- 40 से 49 आयु वर्ग में मृत्यु दर 0.4 फीसदी।
- 50 से 49 आयु वर्ग में 1.3 फीसदी।
- 60 से 69 आयु वर्ग में 3.6 फीसदी।
- 70 से 79 आयु वर्ग में ८ फीसदी।
- 80 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग में 14.8 फीसदी मृत्यु दर रही है।
- सर्वाधिक 312 मौतें 70 से 79 आयु वर्ग के बीच के लोगों की हुई हैं।
निगरानी और जानकारी सबसे महत्वपूर्ण
कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए चीन ने काफी बोल्ड कदम उठाए। तेजी से काम करते हुए चीन ने लोगों को जानकारी देने के साथ संक्रमण वाले क्षेत्रों व लोगों की निगरानी जैसे उपाय बहुत तेजी से उठाए। चूंकि संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है सो चीन ने संक्रमित लोगों को स्वस्थ लोगों के संपर्क में आने से रोका। इससे संक्रमण की चेन टूट सकी है।
चीन में वो सभी जगहें बंद कर दी गईं जहां ढेर सारे लोग एक ही जगह एकत्र होते हैं। जैसे कि मॉल, सिनेमा हाल आदि। यही नहीं चीनी सरकार ने संक्रमण वाले इलाकों में हजारों - लाखों की जांच की। गुआंगडांग प्रांत में ही अस्पतालों में आने वाले 3 लाख 20 हजार लोगों के टेस्ट किये गये। जब संक्रमण पीक पर था तब भी 0.47 फीसदी टेस्ट ही पवॅजिटिव पाये गये। चीन में संक्रमण से मौतों पर इसलिये काबू पाया जा सका क्योंकि वहां संक्रमित व्यक्ति की पहचान बहुत तेजी से की गई, ऐसे व्यक्ति को अलग किया गया और इलाज किया गया।
धूम्रपान करने वाले जोखिम में
चीन में धूम्रपान करना बहुत आम बात है। धूम्रपान करने वालों के फेफड़े वैसे ही कमजोर हो जाते हैं सो कोरोना वायरस के संक्रमण से स्थिति और भी खराब हो जाती है। कोरोना वायरस से हुई मौतों की ये भी एक वजह है। इस संक्रमण से मरने वालों में पुरुष ज्यादा हैं। चीन में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष बहुत ज्यादा धूम्रपान करते हैं।
ये भी देखें: बेरोजगार युवाओं के लिए खुशखबरी, मोदी सरकार करने जा रही ये काम
सार्स वायरस से हुई थीं ज्यादा मौतें
कोरोना वायरस से पहले दुनिया भर में ‘सार्स’ और ‘मर्स’ कहर बरपा चुके हैं। लेकिन कोरोना की तुलना में इन दोनों संक्रमणों से काफी कम मौतें हुईं हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 2 से 5 फीसदी रही है जबकि मौसमी फ्लू से 0.1 फीसदी रहती है। लेकिन मौसमी फ्लू से हर साल बहुत बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होते हैं और 4 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं।
क वर्ष 2012 में सऊदी अरब से निकल कर 27 देशों में फैले ‘मर्स’ वायरस से 2494 लोग संक्रमित हुए थे जिनमें से 858 की मौत हो गई। यानी मृत्यु दर 34 फीसदी रही।
क वर्ष 2002 में चीन के गुआंगडोंग प्रांत से निकल कर 30 देशों में फैले ‘सार्स’ वायरस से 8473 लोग संक्रमित हुए जिनमें से 813 लोगों की मौत हो गई। मृत्यु दर 9.5 फीसदी रही।
कैसे करें बचाव
- साबु और पानी से अपने हाथ अच्छी तरह धोएं या अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनीटाइजर का इस्तेमाल करें।
- खांसते या छींकते वक्त अपना मुंह ढंक लें। डिस्पोजबल टिशू का इस्तेमाल करें।
- हाथ साफ न हों तो आंखों, नाक और मुंह को न छुएं।
- भीड़ भरी जगहों पर न जाएं।
- बीमार लोगों के संपर्क में न आएं।
- पूरी तरह से पका मांस या अंडा ही खाएं।
- जंगली या पालतू पशुओं से दूर ही रहें।
इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्ठियों या खाने के जरिए फैलता है। कोरोना वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकता। कोरोना जैसे वायरस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर नष्ट हो जाते हैं। यानी मौसम गर्म होने पर वायरस का प्रकोप कम होने लगता है।
क्या हैं लक्षण
कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है, इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इसके अलावा सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। थकान रहती है। हालांकि, इन लक्षणों का मतलब ये नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है। कुछ और वायरस में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं जैसे जुकाम और फ्लू में। कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। उम्रदराज लोग और जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है (जैसे अस्थमा, मधुमेह, दिल की बीमारी, सांस की बीमारी) उनके मामले में खतरा गंभीर हो सकता है।
ये भी देखें: दिव्यांगजनों को होली पर अच्छी खबर, जानिये कैसे और क्यों
खुद को अकेला रखें
अगर आप संक्रमित इलाके से आए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं तो आपको अकेले रहने की सलाह दी जा सकती है। ऐसे में ये तरीके अपनाएं :
- घर पर रहें।
- ऑफिस, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं।
- सार्वजनिक वाहन जैसे बस, ट्रेन, ऑटो या टैक्सी से यात्रा न करें।
- घर में मेहमानों को न बुलाएं।
- अगर आप और भी लोगों के साथ रह रहे हैं तो ज़्यादा सतर्कता बरतें। अलग कमरे में रहें और साझा रसोई व बाथरूम को लगातार साफ करें। 14 दिनों तक ऐसा करते रहें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो