आत्महत्या हानि दिवस: क्यों करते हैं लोग ऐसा, जानिए उस खतरनाक पल के बारे में
वास्तव में आत्महत्या की भावना एक विशेष मानसिक स्थिति में क्षणिक आवेश से घटित हो जाती है। यदि वह क्षण हम पार कर जाते हैं तो यह संकट दूर हो जाता है। फिर वह व्यक्ति आत्म हत्या नहीं करता है। मैनें इसका अनुभव भी किया है।
रामकृष्ण वाजपेयी
आत्महत्या हानि दिवस एक ऐसा दिन है जिसमें आत्महत्या के नुकसान से बचे लोग अपने अनुभव साझा करने के माध्यम से समझ और आशा को जगाने के लिए एक साथ आते हैं। इस साल आत्महत्या हानि दिवस शनिवार, 21 नवंबर, 2020 है। 2020 इस मामले में बहुत ही निराशाजनक रहा है तमाम फिल्मी हस्तियों और कोरोना के भय से तमाम लोगों ने जानें दी हैं।
क्षणिक आवेश से घटित हो जाती है घटना
वास्तव में आत्महत्या की भावना एक विशेष मानसिक स्थिति में क्षणिक आवेश से घटित हो जाती है। यदि वह क्षण हम पार कर जाते हैं तो यह संकट दूर हो जाता है। फिर वह व्यक्ति आत्म हत्या नहीं करता है। मैनें इसका अनुभव भी किया है।
आत्महत्या की पहली कहानी
पहली घटना मेरे छात्र जीवन की है एक लड़का मेरे साथ पढ़ता था। मै उस समय दसवीं कक्षा का छात्र रहा होऊंगा। बातचीत में हंसमुख मिलनसार था उसका नाम अश्विनी था। दोस्तों के बीच में रहता था। अचानक एक दिन जब कुछ दोस्त उसके घर में ताश खेल रहे थे। अचानक वह उठकर ऊपर चला गया। बाकी दोस्त खेलते रहे। तभी उसकी मां आईं उन्होंने पूछा अश्विनी कहां है। दोस्तों ने बताया अभी ऊपर गया। वो ऊपर गईं तो चिल्लाने लगीं। दोस्त दौड़कर गए तो देखा फांसी पर लटका हुआ था। किसी की कुछ समझ नहीं आया बाद में कहा गया एक लड़की से दोस्ती टूट जाने से दुखी था। 14-15 साल का लड़का ऐसा करेगा कोई सोच भी नहीं सकता। ये घटना 1980 की है।
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आत्महत्या की दूसरी घटना
दूसरी घटना 2010 के आसपास की है। एक लड़की जो एमए कर रही थी। मुझसे एक दो बार आध्यात्मिक सलाह ली थी। मैं उसे ज्यादा जानता भी नहीं था। मेरे बेटे के जन्मदिन का दिन था। मैं कार्यक्रम में व्यस्त था तब तक अस्पताल के डॉक्टर का फोन आया। उन्होंने बताया कि वह लड़की अस्पताल में भर्ती है।
उसने सुसाइड की कोशिश की है। मुझसे बात करना चाहती है। मुझे डर लगा पता नहीं क्या लफड़ा है मैनें कहा मैं क्यों बात करूं। खैर डॉक्टर के काफी रिक्वेस्ट करने पर मैनें बात की। उस लड़की ने कहा अचानक उसे लगा कि अब जीने से कोई फायदा नहीं इसलिए नींद की ढेर सारी गोलियां खाली थीं। खैर उस लड़की ने ठीक होने के बाद अब तक दोबारा ऐसी कोशिश नहीं की।
लड़की जिसने दो बार गोमती में छलांग लगाई
एक और लड़की जिसने दो बार गोमती में छलांग लगाई और दोनो बार बचा ली गई। उसने बात करने पर ये कहा कि मां के व्यंग्य बाणों और मारपीट से दुखी होकर ये कदम उठाया था। खैर अब वह अपने पति के साथ सुखी है। कहती है कि मेरी समझ में आ गया जब तक मौत नहीं आएगी मै नहीं मरूंगी। चाहे कुछ कर लूं। तो फिर क्यों न अपनी मर्जी से जिऊं।
इसी तरह मैं बनारस में था मणिकर्णिका घाट पर एक मित्र की अंत्येष्टि में गया हुआ था। तभी मेरा फोन बजा। मैने फोन उठाया तो उधर कानपुर की एक लड़की थी। जो कि लगभग तीस बत्तीस साल की थी। डिग्री कालेज में इंगलिश की लेक्चरर थी। उसने कहा आपको अंतिम प्रणाम करने को फोन किया है।
मैनें कहा क्या बात है फंसाने को मैं ही मिला था क्या। मैनें उसे बातों में उलझाया और एक मित्र से उसकी बहन को फोन लगाकर कहा कि तुम्हारी बहन ने कुछ खा लिया है। तुरंत डॉक्टर को बुलाकर उसके पास पहुंचो। खैर ये लड़की बचा ली गई। लेकिन इसके बाद इसने कभी ऐसी कोशिश नहीं की। इसने भी कहा पता नहीं कैसे मैने ये बेवकूफी की।
जब मेरा प्लान खराब हो गया
इसी तरह से मैं एक मित्र के घर अचानक पहुंच गया। वह कुछ अननमयस्क थे चिड़चिड़ा रहे थे। मैं उनके साथ काफी देर तक बात करता रहा वह मुझे भगाने की कोशिश करते रहे। अंत में जब वह नार्मल हो गए तो मैंने कहा मैं चलता हूं। इस पर वह भड़क गए बोले तुम ने मेरा प्लान खराब कर दिया ये देखो मैं आत्महत्या करने जा रहा था तुम को भगाना चाहा नहीं भागे अब जब मेरा प्लान खराब हो गया। मैंने इरादा बदल दिया तो जा रहे हो। मैने कहा भाई मैने खुदकुशी करने से तो रोका नहीं अब कर लो मैं भी लाइव देख लूंगा। बोले अब समय निकल गया। अब नहीं कर सकता।
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उस खतरनाक पल से निकलना होगा बाहर
खैर इन घटनाओं से मुझे ऐसा लगता है कि आत्महत्या से पहले यदि उस व्यक्ति का ध्यान कुछ समय के लिए कहीं और चला जाए तो वह आत्महत्या नहीं करेगा। इसलिए कोई काफी देर से एकाकी हो तो कमरे में बंद हो तो उसे डिस्टर्ब कर देना चाहिए। ताकि अगर किसी व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ रही हो तो घट जाए।
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