SC: सीईसी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से बेंच ने खुद को किया अलग, दूसरी पीठ को भेजा
SC: अलग होने से पहले पीठ ने नियुक्ति को चुनौती देने वाले एनजीओ 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म' से सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि नियुक्ति प्रक्रिया में किन नियमों का उल्लंघन किया गया है। बेंच ने कहा कि संवैधानिक पद पर नियुक्ति के बाद यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि वह मनमाना, गलत काम करेगा या हां में हां मिलाकर चापलूसी करेगा। चुनाव को साफ सुथरा व निशपक्ष बनाए रखने के लिए यह याचिका शीर्ष अदालत के दो मार्च के फैसले पर निर्भर है।
SC: अरूण गोयल को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच नें इस सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस जोसेफ और बीवी नागारत्ना ने मामले को किसी अन्य बेंच के समक्ष लिस्ट करने के लिए कहा।
अलग होने से पहले पीठ ने नियुक्ति को चुनौती देने वाले एनजीओ 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म' से सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि नियुक्ति प्रक्रिया में किन नियमों का उल्लंघन किया गया है। बेंच ने कहा कि संवैधानिक पद पर नियुक्ति के बाद यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि वह मनमाना, गलत काम करेगा या हां में हां मिलाकर चापलूसी करेगा। चुनाव को साफ सुथरा व निशपक्ष बनाए रखने के लिए यह याचिका शीर्ष अदालत के दो मार्च के फैसले पर निर्भर है।
दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिस पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किए जाने की बात कही थी। नियुक्त करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल होंगे।
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सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की बेंच ने कहा था कि यदि अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव के बारे में नहीं पता था तो उन्होने पिछले साल 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कैसे किया। उस समय एनजीओ के वकील ने कहा था कि गोयल की नियुक्ति मनमानी है। देशभर से 160 अधिकारियों का चयन किया गया जिसमे से मात्र चार अधिकारियों का ही चयन किया गया। जबकि उसमें कई अधिकारी गोयल से जूनियर थे। उन्होने कहा कि सरकार द्वारा अपनायी जाने वाली प्रक्रिया संदेहास्पद है।