नई दिल्ली: अब यूपीएससी यानि संघ लोक सेवा आयोग देश के सभी राज्यों में डीजीपी तय करेगा। ऐसा आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया है। गौरतलब है कि पुलिस सुधारों की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है। इसके अलावा अब किसी भी राज्य में एक्टिंग डीजीपी सीधे अप्वाइंट नहीं किया जा सकेगा। इतना ही नहीं कहीं पर भी एक्टिंग पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति भी नहीं हो सकेगी। अगर कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश इसका उल्लंघन करेगा तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सीनियर पुलिस अफसरों को पहले एक्टिंग डीजीपी और फिर पूर्ण कालिक डीजीपी बनाने के खेल पर अंकुश लगा दिया है। कोर्ट ने माना है कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरूपयोग कर रहे हैं। राज्य रिटायरमेंट की कगार पर पहुंच रहे अफसर को पहले एक्टिंग डीजीपी नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित डीजीपी बना देते हैं। अब ऐसा नहीं होगा।
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ये होगी प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अब राज्य पद रिक्त होने से तीन महीने पहले संघ लोक सेवा आयोग को सीनियर आईपीएस अफसरों की सूची भेजेंगे। इसके बाद यूपीएससी उनमें से तीन आईपीएस अफसरों को चुनकर एक वरीयता सूची बनाएंगे। इस वरीयता सूची को यूपीएससी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजेगा। इसके बाद राज्य उन तीन अफसरों में से किसी एक को डीजीपी बना सकेंगे। राज्य उसी अफसर को डीजीपी बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं। वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष का होगा। एक याचिका की सुनवाई के दौरान के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को एक्टिंग पुलिस महानिदेशक या पुलिस कमिश्नर नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित कर देते हैं। इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं। सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग से अनुमति ली है। लेकिन बाकी राज्य इसमें खेल कर रहे हैं।
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पुलिस सुधार पर दायर हुई थी अवमानना याचिका
सुप्रीम कोर्ट पुलिस सुधार पर दिए आदेश लागू नहीं करने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए कोर्ट के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है। अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी। दरअसल 2006 में आईपीएस प्रकाश सिंह के मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को लागू नहीं किया गया था। वहीं दूसरी तरफ, अश्विनी उपाध्याय ने मॉडल पुलिस बिल 2006 को भी लागू करने की मांग की। पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल का मसौदा भी तैयार किया था। उपाध्याय के अलावा पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी। पूर्व डीजीपी ने 1996 में एक जनहित याचिका भी दायर की थी। जिसके कारण पुलिस सुधार बिल को तैयार किया गया था। अदालत ने प्रकाश सिंह और दूसरे डीजीपी एनके सिंह की याचिका पर 2006 में निर्देश दिया था। इसमें राज्य सुरक्षा अयोग का गठन किया जाना भी शामिल था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है।