नई दिल्ली: उत्तराखंड के 9 बागी कांग्रेसी विधायकों को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने स्पीकर को हटाने के प्रस्ताव को एजेंडे में शामिल करने और बागियों को 21 जुलाई से शुरू होने वाली विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी। हालांकि कोर्ट ने स्पीकर को हटाए जाने का मुद्दा पहले से ही अदालत में लंबित बागियों की याचिका में शामिल करने की सहमति दे दी है।
बीजेपी में शामिल बागियों ने कहा-मैं कांग्रेसी हूं
बुधवार को अदालत में सत्ता पक्ष, प्रतिपक्ष और स्पीकर सभी मौजूद थे। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल ये बागी विधायक आज खुद को फिर से कांग्रेस का सदस्य होने की दुहाई देते दिखे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के ही अरुणाचल प्रदेश मुद्दे पर हालिया फैसले का भी हवाला दिया गया। वहीं दूसरी ओर स्पीकर और कांग्रेस ने बागियों की अर्जी का विरोध किया।
सिब्बल-सिंघवी ने की जिरह
इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा, 'बागी विधायकों की अपील और अर्जी महत्वहीन हो गई हैं। इन्हें खरिज किया जाना चाहिए। ये लोग कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और अब ये वापस कांग्रेस में नहीं आ सकते।' कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कहा कि ये पहला मामला है, जब बीजेपी खुद अपने विधायकों को कांग्रेस का विधायक बता रही है।
जज ने कहा-हम शॉकप्रूफ हो चुके हैं
इस पर जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कहा, 'बेशक ये पहला मामला हो लेकिन हम इससे हैरान नहीं हैं। अब हम शॉकप्रूफ हो चुके हैं। हमने ऐसे मामले भी देखे हैं जिसमें स्पीकर खुद पार्टी छोड़कर चला गया।'
कोर्ट ने बागियों से पूछा
कोर्ट ने बागियों से सवाल किया की क्या अयोग्य ठहराए जाने के बाद भी कोई सदस्य रह सकता है? कोर्ट ने ये सवाल तब किया जब बागियों की तरफ से बार-बार विधानसभा सत्र में शामिल होने की इजाजत मांगी जा रही थी। बागियों के वकील आर्यमान सी सुंदरम ने अरुणाचल प्रदेश पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा, वो भी अयोग्य ठहराए जाने से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने दी ये दलील
इस दलील पर सिब्बल ने स्पीकर की तरफ से कहा कि स्पीकर को हटाने के दिए गए प्रस्ताव में कोई वजह नहीं दी गई थी। ये पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था। इस तरह कोई भी प्रस्ताव देकर स्पीकर के हाथ बांध सकता है। इसके बाद बाकी सदस्य पार्टी छोड़ देंगे और सरकार गिर जाएगी। सिब्बल ने ये भी कहा की नियम के मुताबिक सत्र से 14 दिन पहले ऐसा नोटिस दिया जाना चाहिए था।
अब अगली सुनवाई 27 को
बहस इतनी गंभीर हो गई कि स्पीकर की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की मांग तक कर दी। लेकिन कोर्ट ने मांग अनसुनी कर दी। दिनभर चली सुनवाई के बाद भी बागी विधायकों को कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की है।