Article-370: कपिल सिब्बल ने रंजन गोगोई पर दी अटपटी दलील, नाराज हुए CJI चंद्रचूड़ ! कह दी बड़ी बात

SC Hearing on Article-370: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आर्टिकल- 370 से जुड़ी याचिका की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल से कहा, 'यदि आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना चाहिए। जब वे जस्टिस नहीं रह जाते हैं तो वे विचार बन जाते हैं।

Update: 2023-08-08 12:48 GMT
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, रंजन गोगोई और कपिल सिब्बल (Social Media)

SC Hearing on Article-370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार (08 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अकबर लोन के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (Former CJI Ranjan Gogoi) के संबंध में ऐसी दलील दी, जिसे सुनकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनकी बात को वहीं काट दिया। इतना ही नहीं CJI चंद्रचूड़ ने सिब्बल को कुछ हिदायत भी दी।

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने अपनी टिप्पणी आर्टिकल-370 को हटाने को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी। दरअसल, याचिकाकर्ता अकबर लोन (Petitioner Akbar Lone) के वकील कपिल सिब्बल ने संसद में दिए गए पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के बयान का जिक्र किया। सपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने 5 जजों की संविधान पीठ से सुनवाई के दौरान कहा कि, 'जैसा कि अब आपके एक सम्मानित सहयोगी ने कहा है कि बुनियादी संरचना सिद्धांत भी संदिग्ध है।'

'...तो मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करें'

आर्टिकल-370 से जुड़े मौजूदा मामले पर सुनवाई के दौरान दलीलों के बीच कपिल सिब्बल का ये तर्क शायद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को अटपटा लगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, 'यदि आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना होगा। क्योंकि, एक बार जब वे जस्टिस नहीं रह जाते हैं तो वे विचार बन जाते हैं। बाध्यकारी आदेश नहीं।' इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा, 'मैं आश्चर्यचकित हूं, बेशक यह बाध्यकारी नहीं है।'

SG बोले- अभिव्यक्ति की आजादी हर किसी को

कपिल सिब्बल और सीजेआई चंद्रचूड़ के बीच बहस को सुनकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि, 'अदालत में जो कुछ होता है उस पर पार्लियामेंट चर्चा नहीं करती। इसी तरह जो संसद में होता है, उस पर अदालत में बातें नहीं होती। एसजी तुषार मेहता ने कहा, देश में हर किसी को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of speech) है।

क्या कहा था रंजन गोगोई ने?

दरअसल, एक दिन पहले संसद में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व सीजेआई और वर्तमान राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई ने अदालत और संसद में बिल को लेकर कई तकनीकी बातें समझाई थी। गोगोई ने कहा, 'ये कहना गलत है कि मामला अदालत में लंबित है। इसलिए इस पर सदन में बिल नहीं आ सकता। उन्होंने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जो मामला लंबित है वह अध्यादेश की वैधता है। दो और प्रश्न संविधान पीठ (Constitution Bench) को भेजे गए हैं। इसका सदन में बहस से कोई लेना-देना नहीं है। रंजन गोगोई ने आगे कहा कि, 'विधेयक पूरी तरह से वैध है।'

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