सुप्रीम कोर्ट का सवर्ण आरक्षण पर रोक लगाने से इंकार, सरकार से मांगा जवाब

गौरतलब है कि याचिकाओं में अनुच्छेद-15(6) और 16 (6) जोड़े जाने को संविधान के मूल ढांचे में बदलाव बताया गया है। साथ ही इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्फल करने की भी कोशिश का आरोप लगाया गया है।

Update: 2019-01-25 04:08 GMT

नई दिल्ली: केंन्द्र सरकार द्वारा लिये गए सवर्ण आरक्षण के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। आरक्षण को असंवैधानिक बताने वाली याचिकाओं के मद्देनजर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हम इस मुद्दे की समीक्षा करेंगे। कोर्ट अब इस मामले में चार हफ्ते में सुनवाई करेगा।

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याचिका में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी व शैक्षिणक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। यह याचिकाएं यूथ फॉर इक्वालिटी सहित कई संगठन और लोगों ने दाखिल की हैं।

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बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस संजीव खन्ना की मौजूदगी वाली पीठ आज इस मामले पर सुनवाई करेगी। याचिकाओं में संविधान संशोधन (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती दी गई है, जिसे संसद के दोनों सदनों ने बतौर 124वें संविधान संशोधन विधेयक, 2019 के तौर पर पारित किया था।

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गौरतलब है कि याचिकाओं में अनुच्छेद-15(6) और 16 (6) जोड़े जाने को संविधान के मूल ढांचे में बदलाव बताया गया है। साथ ही इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्फल करने की भी कोशिश का आरोप लगाया गया है।

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