Order To Remove Mosque: इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर से मस्जिद हटाने का आदेश, SC का सख्त रुख, तीन महीने का दिया समय

Order To Remove Mosque: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में बनी मस्जिद को तीन महीने में हटाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट परिसर में इस मस्जिद का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

Update: 2023-03-13 18:30 GMT

Order To Remove Mosque: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में बनी मस्जिद को तीन महीने में हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें परिसर से मस्जिद हटाने को कहा गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट परिसर में इस मस्जिद का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि तीन महीने की तय समयसीमा के भीतर हाकोर्ट परिसर से मस्जिद नहीं हटाई जाती है तो अथॉरिटीज को इस मस्जिद को गिराने की छूट होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बरकरार

इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में बनी इस मस्जिद का मामला लंबे समय से चल रहा है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने परिसर में बनी मस्जिद को हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और वक्फ मस्जिद हाईकोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही हाईकोर्ट परिसर में बनी मस्जिद को हटाने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है। इस तय समयसीमा के भीतर ही मस्जिद को हटाना होगा नहीं तो उसे गिराने की कार्रवाई की जा सकती है।

यूपी सरकार से जमीन मांग सकते हैं याचिकाकर्ता

वैसे सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इस बात की अनुमति दी है कि वे उत्तर प्रदेश सरकार को ज्ञापन देकर मस्जिद के लिए कोई दूसरी वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराने की मांग कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से ऐसे आवेदन पर नियमानुसार विचार किया जा सकता है।

कैंसिल हो चुकी है जमीन की लीज

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट परिसर में सरकार की लीज वाली जमीन पर यह मस्जिद स्थिति है और यह लीज 2022 में कैंसिल हो चुकी है। परिसर विस्तार के लिए यह जमीन हाईकोर्ट को दे दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में मस्जिद का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और हाईकोर्ट के फैसले में दखल देना उचित नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट अभिषेक शुक्ला की ओर से परिसर से मस्जिद हटाने के संबंध में याचिका दायर की गई थी जिस पर हाईकोर्ट ने मस्जिद को हटाने का आदेश जारी किया था।

सिब्बल के तर्कों से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं

मस्जिद के पक्ष में दलील देते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की इमारत और 1861 में तैयार की गई थी। हाईकोर्ट की स्थापना के बाद से ही मुस्लिम वकील, हाईकोर्ट के क्लर्क और अन्य मुवक्किल शुक्रवार के दिन उत्तरी कोने पर नमाज पढ़ा करते थे। बाद में इसी स्थान पर जजों के चेंबर बना दिए गए।

इसके बाद मुस्लिम वकीलों की मांग पर हाईकोर्ट की ओर से परिसर के दक्षिणी कोने में जमीन दे दी गई। यहीं पर बाद में नमाज पढ़ने वालों की सुविधा के लिए मस्जिद भी बन गई। उन्होंने कहा कि लीज खत्म होने के बाद मस्जिद को हटाने की मांग करना गलत है।

सिब्बल ने कहा कि जिस मस्जिद को हटाने की बात कही जा रही है, वह सड़क के किनारे हाईकोर्ट परिसर के बाहर बनी हुई है। ऐसे में यह तर्क देना की मस्जिद हाईकोर्ट परिसर के भीतर बनी हुई है, पूरी तरह गलत है। हालांकि शीर्ष अदालत सिब्बल की दलीलों से सहमत नहीं हुई और तीन महीने के भीतर मस्जिद को हटाने का आदेश जारी कर दिया।

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