PFI in SC: सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई को बड़ा झटका, ईडी मामले में भी आज होनी है सुनवाई

PFI in SC: बीते साल देश में ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद पीएफआई को केंद्र सरकार ने यूएपीए के तहत इसे गैर कानूनी घोषित करते हुए पांच साल के लिए बैन कर दिया था।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-11-06 15:14 IST

Supreme Court rejected pfi petition  (photo: social media )

PFI in SC: प्रतिबंधित इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पीएफआई ने यूएपीए (UAPA) ट्रिब्यूनल के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उस पर लगे बैन को बरकरार रखा गया था। कोर्ट ने संगठन की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है।

दरअसल, बीते साल देश में ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद पीएफआई को केंद्र सरकार ने यूएपीए के तहत इसे गैर कानूनी घोषित करते हुए पांच साल के लिए बैन कर दिया था। केंद्र के इस फैसले को UAPA ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई थी। लेकिन ट्रिब्यूनल ने केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए बैन हटाने से इनकार कर दिया था।

ईडी मामले में भी आज होनी है सुनवाई

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी चल रहा है। जिसकी जांच संघीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी कर रही है। दिल्ली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन गुप्ता की अदालत इस मामले को देख रही है। ईडी द्वारा चार्जशीट कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई जांच एजेंसी के वकील ने कहा था कि मामले में आरोपियों के विरूद्ध केस चलाने का पर्याप्त सबूत मौजूद है।

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बता दें कि यह मामला कई सालों में 120 करोड़ रूपये की मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है। ईडी ने एनआईआ के एफआईआर के आधार पर पीएफआई के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों और संगठन से जुड़े अन्य सदस्यों ने दान, हवाला, बैंकिंग चैनलों आदि के माध्यम से धन एकत्र किया। फंड का उपयोग गैर कानूनी गतिविधियों और विभिन्न अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।

सितंबर 2022 में बैन हुआ था संगठन

लंबे समय से देशभर में जहां कहीं भी सांप्रदायिक तनाव या हिंसा की घटनाएं सामने आती थीं, वहां से पीएफआई या उसके सहयोगी संगठनों का नाम जरूर आता था। संगठन ने दक्षिण भारत में अपने पैर खास तौर पर मजबूती से जमा रखे थे और धीरे-धीरे उत्तर भारतीय राज्यों में भी उसकी जड़ें गहरी होती जा रही थीं। इसे बैन करने की मांग काफी समय से होती रही थी। सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शनों में संगठन की सक्रियता ने केंद्र के रडार पर ला दिया था।

बीते साल सितंबर में एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस दौरान संगठन से जुड़े सैंकड़ों लोग गिरफ्तार हुए थे। इस कार्रवाई में जांच एजेंसियों को पीएफआई के टेरर लिंक के पुख्ता सबूत मिले। जिसके बाद गृह मंत्रालय से इसे बैन करने की सिफारिश की गई। केंद्र ने इस मानते हुए संगठन को प्रतिबंधित घोषित कर दिया।

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बता दें कि पीएफआई 22 नवंबर 2006 को तीनों संगठनों के विलय के बाद अस्तित्व में आया था। इनमें केरल का शनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई शामिल है। इसका मुख्यालय केरल के कोझिकोड में स्थित था। ये संगठन खुद को गैर-लाभकारी बताता है लेकिन इस पर गैर – मुस्लिमों के धर्मांतरण और मुस्लिम युवाओं को कट्टरता की ओर धकेलने के संगीन आरोप हैं।

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