सुप्रीम कोर्ट ने कहा: समाधान निकलने तक कृषि कानूनों पर रोक लगे
कृषि कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन और वकील एमएल शर्मा ने चुनौती दी है। शर्मा ने याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों से संबंधित कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किसानों के साथ गतिरोध का समाधान निकलने तक इन कानूनों पर रोक लगाने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो कोर्ट खुद इन कानूनों पर रोक लगाएगी। कोर्ट ने मुद्दे का समाधान निकालने के लिए एक मध्यस्थता समिति के गठन का सुझाव भी दिया है।
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क्या है याचिका में
कृषि कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन और वकील एमएल शर्मा ने चुनौती दी है। शर्मा ने याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। कृषि और भूमि राज्यों का विषय है और संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 (राज्य सूची) में इसे एंट्री 14 से 18 में दर्शाया गया है। यह स्पष्ट रूप से राज्य का विषय है। इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाए।
क्या कहा कोर्ट ने
उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देगा। दौरान कोर्ट ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें समिति को अपनी आपत्तियां बताने दें, हम समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर सकते हैं। कोर्ट ने किसान संगठनों से कहा कि आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे। हमें नहीं पता कि लोग सामाजिक दूरी के नियम का पालन कर रहे हैं कि नहीं लेकिन हमें उनके (किसानों) भोजन पानी की चिंता है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानून पर रोक लगाएगी या हम लगाएं।
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कोर्ट ने ये भी कहा कि हम फिलहाल इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं कर रहे हैं, यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। हालांकि, कोर्ट ने फटकार लगाते हुए केन्द्र से कहा कि हमें नहीं पता कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का। कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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