Delhi Govt vs LG Case: केजरीवाल को बड़ा झटका, सरकार नहीं बना सकती कानून

दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्तियों- स्थानान्तरण का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा या फिर दिल्ली सरकार के पास, इस पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। 

Update: 2019-02-14 04:35 GMT

नई दिल्ली : दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्तियों- स्थानान्तरण का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा या फिर दिल्ली सरकार के पास, इस पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है।

बड़ी बातें

निदेशक स्तर की नियुक्ति सीएम कर सकते हैं- जस्टिस सीकरी

लैंड का सर्कल रेट दिल्ली सरकार तय कर सकती है- जस्टिस सीकरी

सर्विस(अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग) पर मैं सहमत नहीं- जस्टिस भूषण

सचिव स्तर के अधिकारियों पर फैसला एलजी करें- जस्टिस सीकरी

अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई राष्ट्रपति करें- जस्टिस सीकरी

एसीबी केंद्र के अधिकारियों पर एक्शन नहीं ले सकता- जस्टिस सीकरी

आपको बता दें, मामले में कुल 9 याचिकाएं दायर हुई थीं जिनपर कोर्ट में 1 नवंबर को आखिरी सुनवाई हुई थी, कोर्ट ने इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिन मुद्दों पर अदालत का फैसला आने की संभावना है, उनमें अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा और जांच के लिए आयोग गठित करने का अधिकार शामिल है।

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इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बताया था कि उप राज्यपाल के पास दिल्ली में सेवाओं को विनियमित करने की शक्ति है। राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों को दिल्ली के प्रशासक को सौंप दिया है और सेवाओं को उसके माध्यम से प्रशासित किया जा सकता है।

क्या दलील थी केंद्र की

जब तक भारत के राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से निर्देश नहीं देते तब तक एलजी, जो दिल्ली के प्रशासक हैं और वे मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद से परामर्श नहीं कर सकते हैं।

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दिल्ली के प्रशासन को दिल्ली सरकार के पास अकेला नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि देश की राजधानी होने के नाते इसकी असाधारण स्थिति है।

क्या कहा था कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, लोकतांत्रिक मूल्य सबसे ऊपर हैं, संसद का बनाया कानून ही सर्वोच्च है क्योंकि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त है।

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