School Breakfast Scheme: अब स्कूलों में मिलेगा गरमा गरम नाश्ता भी, गेम चेंजर है स्टालिन की ब्रेकफास्ट स्कीम

School Breakfast Scheme: तमिलनाडु सरकार ने पिछले साल पायलट आधार पर 1,545 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में मुख्यमंत्री नाश्ता योजना शुरू की थी । लेकिन अब इसका विस्तार राज्य भर के 31,000 स्कूलों तक कर दिया गया है।

Update:2023-08-26 09:51 IST
Tamil Nadu School Breakfast Scheme (Photo - Social Media)

School Breakfast Scheme: ऐसे समय में जब सामाजिक कल्याण योजनाओं को मुफ्त या ‘रेवड़ी’ संस्कृति के रूप में लेबल किया जाने लगा है, तमिलनाडु देश का पहला राज्य बन गया है जिसने अपनी खुद की ‘नाश्ता’ योजना को राष्ट्रव्यापी मिड डे मील के साथ जोड़ दिया है। तमिलनाडु सरकार ने पिछले साल पायलट आधार पर 1,545 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में मुख्यमंत्री नाश्ता योजना शुरू की थी । लेकिन अब इसका विस्तार राज्य भर के 31,000 स्कूलों तक कर दिया गया है। सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये रखे हैं। इस कदम से लगभग 18 लाख बच्चों को लाभ होने की उम्मीद है। कुपोषण और भूख की समस्या से निपटने के लिए तमिलनाडु ने बेहतरीन योजनायें लागू की हैं । जिनमें देश की पहली मध्यान्ह भोजन योजना और अम्मा कैंटीन शामिल हैं और अब नाश्ता योजना भी इसमें जुड़ गयी है।

तमिलनाडु सबसे आगे

दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु वह राज्य है जिसने सबसे पहले मिड डे मील योजना शुरू की थी। 1920 के दशक में जस्टिस पार्टी ने स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए मुफ्त भोजन का विचार पेश किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री के. कामराज ने 1956-57 में तमिलनाडु के सभी पंचायत और सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में मुफ्त भोजन योजना लागू थी। हालाँकि कामराज की योजना को आंशिक रूप से अमेरिकी स्वैच्छिक संगठन, ‘केयर’ द्वारा सहायता प्रदान की गई थी।

उस समय सरकार ने प्रत्येक छात्र के लिए डेढ़ आना का योगदान दिया; बाकी केयर और स्थानीय लोगों से आया था। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह मामूली मध्याह्न भोजन योजना एक दिन पूरे भारत में स्कूल में उपस्थिति और बच्चों के पोषण के लिए गेम-चेंजर बन जाएगी और कई देशों के लिए एक मॉडल बन जाएगी।

तमिलनाडु की एक और भोजन स्कीम है ‘अम्मा कैंटीन।’ अम्मा कैंटीन योजना फरवरी 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता, द्वारा शुरू की गई थी। 2021 में, जब प्रतिद्वंद्वी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सत्ता में आई, तो योजना को कमजोर करने के बजाय, नई सरकार ने घोषणा की कि वह 200 और कैंटीन शुरू करेगी। आम जनता की नाराजगी से बचने के लिए उन्होंने योजना का नाम बदलने की हिम्मत नहीं की। वर्तमान में राज्य में लगभग 400 अम्मा कैंटीन चल रही हैं।

योजना की लोकप्रियता इसी से देखी जा सकती है कि ये कैंटीन रोजाना नाश्ते के लिए लगभग 45 लाख इडली और 12 लाख प्लेट पोंगल, दोपहर के भोजन के लिए 25 लाख प्लेट सांबर चावल और 11 लाख प्लेट दही चावल तैयार करती हैं। इस योजना ने देश के अन्य राज्यों का ध्यान आकर्षित किया है। यहां तक कि अन्य देशों की टीमें भी इस योजना का अध्ययन करने के लिए तमिलनाडु का दौरा कर चुकी हैं। अम्मा कैंटीन योजना ने शहरी भूख और कुपोषण पर सीधा हमला किया है।

केंद्र का भी यही विचार था

ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार को नाश्ता स्कीम शुरू करने का विचार नहीं आया। सच्चाई तो ये है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में मध्याह्न भोजन के अलावा नाश्ता शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2021 में कहा था कि इस कदम को वित्त मंत्रालय द्वारा ख़ारिज कर दिया।

विवाद की जड़ थी 4,000 करोड़ रुपये की फंडिंग। इसी लिए वित्त मंत्रालय ने उदासीनता जाहिर कर दी। दूसरी ओर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने नाश्ता योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि ऐसा करने में लागत नहीं देखी जाती । क्योंकि यह सरकार के कर्तव्य का हिस्सा है। उनका कहना है कि नाश्ता योजना न तो मुफ्त की रेवड़ी है, न सौगात है और न चैरिटी है । बल्कि ये सरकार की ड्यूटी है। बहरहाल, मुख्यमंत्री स्टालिन द्वारा शुरू की गयी नाश्ता स्कीम एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।

क्या है मुख्यमंत्री नाश्ता योजना

- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 15 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नाश्ता योजना शुरू की थी। यह प्राथमिक सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त नाश्ता प्रदान करती है।
- शुरू में इस योजना में 1,545 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के लगभग 1.14 लाख छात्रों को शामिल किया गया था।
- अब इस योजना का विस्तार राज्य के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के सभी 31,008 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 15.75 बच्चों को शामिल करने के लिए किया गया है।
- छात्रों को दिए जाने वाले नाश्ते का मेनू इस प्रकार बनाया गया है कि बच्चों को हर दिन अलग-अलग प्रकार की खाने की चीजें मिलें। बच्चों को सोमवार को उपमा का नाश्ता, मंगलवार को खिचड़ी, बुधवार को पोंगल, गुरुवार को उपमा और शुक्रवार को मीठा नाश्ता मिलेगा। इनके अलावा, बच्चों को हफ्ते में कम से कम दो बार बाजरा आधारित भोजन भी उपलब्ध कराया जाएगा।
- विभागीय वेबसाइट के अनुसार, कच्चे माल की मात्रा 50 ग्राम प्रति बच्चा प्रति दिन होगी। स्थानीय रूप से उपलब्ध बाजरा आधारित नाश्ता भी सप्ताह में कम से कम दो दिन उपयोग किया जाएगा। इससे लगभग 293.40 कैलोरी ऊर्जा, 9.85 ग्राम प्रोटीन, 5.91 ग्राम वसा सुनिश्चित होगी। , प्रत्येक बच्चे के लिए 1.64 ग्राम आयरन और 20.41 ग्राम कैल्शियम।

नाश्ता योजना से बढ़ी उपस्थिति

मुख्यमंत्री नाश्ता योजना से बच्चों में पोषण की कमी और स्कूलों में कम उपस्थिति के दोहरे मुद्दों को सुलझाया गया है। एक सरकारी अध्ययन में पाया गया है कि अब तक कवर किए गए लगभग 90 प्रतिशत स्कूलों में योजना के बाद उपस्थिति में वृद्धि दर्ज की गई है। यह योजना मिड डे मील योजना के साथ साथ चलती है। मिड डे मील में दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है जबकि नाश्ता योजना सुबह का भोजन प्रदान करती है।

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