तमिलनाडु चुनावः पलानीस्वामी का लोन दांव, क्या बदल देगा चुनावी समीकरण

तमिलनाडु का घमासान इस बार देखने लायक होगा क्योंकि पहली बार राज्य के चुनाव एम. करुणानिधि और जयललिता की अनुपस्थिति में हो रहे हैं। देखना यह है कि द्रमुक और अन्नाद्रमुक के नये कर्णधारों पर जनता को कितना भरोसा है।

Update: 2021-02-27 06:40 GMT
तमिलनाडु चुनावः पलानीस्वामी का लोन दांव, क्या बदल देगा चुनावी समीकरण

रामकृष्ण वाजपेयी

तमिलनाडु में चुनाव की तैयारियों का एलान होने के साथ ही चुनावी उठापटक तेज हो गई है। मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने जहां चुनाव तारीखों का ऐलान होने से महज कुछ घंटे पहले जहां गोल्ड लोन माफी की घोषणा कर दी है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल व तमिलनाडु का कार्यक्रम रद हो गया है। तमिलनाडु का घमासान इस बार देखने लायक होगा क्योंकि पहली बार राज्य के चुनाव एम. करुणानिधि और जयललिता की अनुपस्थिति में हो रहे हैं। देखना यह है कि द्रमुक और अन्नाद्रमुक के नये कर्णधारों पर जनता को कितना भरोसा है।

द्रमुख कांग्रेस संबंधों में आई खटास देखने को मिल सकता है

राष्ट्रीय दलों में भाजपा और कांग्रेस लंबे समय से यहां पर मतों में हिस्सेदारी के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन क्षेत्रीय दलों के पिछलग्गू बनने के सिवाय वह कुछ हासिल नहीं कर पाए हैं। देखने की बात यह भी होगी कि इस चुनाव पर पुडुचेरी में द्रमुक कांग्रेस गठबंधन की सरकार के पतन का कितना असर पड़ता है। क्योंकि इस सरकार के पतन में दोनो दलों की कलह एक बड़ा कारण थी इसे लेकर द्रमुख कांग्रेस संबंधों में आई खटास का असर यहां भी देखने को मिल सकता है।

भाजपा का अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन ठीक ठाक चल रहा है। हालांकि बीच में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक बयान आया था कि हमने राज्य में छह महीने बेकार गंवाए। क्योंकि भाजपा राज्य की जनता पर असर रखने वाले रजनीकांत पर दांव खेलना चाहती थी लेकिन उनके इनकार ने पार्टी के मनसूबों पर पानी फेर दिया था। दक्षिण के महानायक रजनीकांत ने सक्रिय राजनीति में उतरने में असमर्थता जता दी थी।

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राजनीति में कमल हासन और रजनीकांत

हालांकि उनके समकालीन अभिनेता कमल हासन पार्टी बनाकर द्रमुक कांग्रेस गठबंधन के करीब जा रहे हैं। लेकिन राजनीति में कमल हासन रजनीकांत से बीस बैठते दिखे। विश्लेषकों का मानना है कि रजनीकांत और कमल हासन दोनो में ही एमजी रामचंद्रन या एनटी रामाराव की तरह जनता को लुभाने की कल नहीं आती है। इस मामले में दोनो ही असफल हैं इनकी तुलना दक्षिण की राजनीति के इन दो महानायकों से नहीं की जा सकती है।

सरकार विरोधी लहर को काटने में जुटे पलानीस्वामी

इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से महज कुछ घंटों पहले गोल्ड लोन माफ करने का ऐलान करके चर्चा में आ गए हैं। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने 16 लाख से अधिक किसानों को दिए गए 12,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ करने की घोषणा की थी। पलानीस्वामी सरकार विरोधी लहर को काटने में तेजी से जुटे हैं। हालांकि पलानीस्वामी का कहना है कि कोविड से पीड़ित जनता और कृषि समुदाय की शिकायतों को दूर करना उनका पहला कर्तव्य है।

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तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था कोविड से अभी उबरी नहीं

तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था कोविड से अभी उबरी नहीं है और पलानीस्वामी के इस कदम से गरीबों को लॉकडाउन के दौरान गिरवी रखे सोने को छुड़ाने में मदद मिलेगी। कोविड राहत उपायों के तहत तमिलनाडु स्टेट एपेक्स को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा कम ब्याज दरों वाली गोल्ड लोन स्कीमों की पेशकश की गई थी। इसकी ब्याज दर प्रति वर्ष 6 प्रतिशत तय की गई थी। इस योजना के तहत तमिलनाडु के लोगों को 25 हजार से एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं और इस रकम को तीन महीनों में वापस करना होगा।

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