तमिलनाडु: शशिकला की एंट्री से बदलेंगे समीकरण, इन दोनों दलों को होगा नुकसान
शशिकला की रिहाई के बाद तमिलनाडु की सियासत में मची हलचल से हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है कि उनकी रिहाई का राज्य की सियासत और निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों पर क्या असर होगा।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता शशिकला की आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल से रिहाई के बाद तमिलनाडु की सियासत में भूचाल आ गया है। शशिकला ने तमिलनाडु की सियासत में उतरने का एलान किया है। समर्थकों ने जिस जोरदार तरीके से शशिकला का स्वागत किया है, उससे तमिलनाडु की सियासत में शशिकला की धमक सुनाई देने लगी है।
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शशिकला की रिहाई के बाद तमिलनाडु की सियासत में मची हलचल से हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है कि उनकी रिहाई का राज्य की सियासत और निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों पर क्या असर होगा।
अन्नाद्रमुक के सात नेता पार्टी से बर्खास्त
रिहाई के समय शशिकला की कार पर अन्नाद्रमुक का झंडा लगा होने की शिकायत पुलिस तक पहुंच गई है और उन्हें कार मुहैया कराने को भी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियां माना है और इस सिलसिले में सात सदस्यों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है। इससे समझा जा सकता है कि अन्नाद्रमुक में भी शशिकला को लेकर घबराहट का माहौल दिख रहा है।
रिहाई के बाद दिखाई ताकत
आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल की सजा काटने के बाद बेंगलुरु से तमिलनाडु पहुंचने के दौरान शशिकला ने अपनी ताकत दिखाई। राज्य की ताकतवर नेता रह चुकी दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के बेहद करीबी मानी जाने वाली शशिकला लगभग 200 वाहनों के काफिले के साथ बेंगलुरु से तमिलनाडु पहुंचीं।
इस दौरान शशिकला के समर्थक जबर्दस्त उत्साह में दिखे और उन्होंने काफिले पर फूल बरसाकर जश्न मनाया। शशिकला ने जयललिता के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर बड़ा सियासी संदेश भी दिया।
राजनीति में उतरने के एलान से विरोधी सतर्क
बेंगलुरु के अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद शशिकला ने तमिलनाडु लौटकर राजनीति में कूदने का एलान करके अपने विरोधियों को भी सतर्क कर दिया। उन्होंने कहा कि वे तमिलनाडु के लोगों की ऋणी हैं।
उन्होंने अपने विरोधियों को चुनौती देते हुए यह भी कहा कि वे दमन के आगे झुकने वाली नहीं है। शशिकला के राजनीतिक अखाड़े में उतरने का एलान को बड़ा संदेश माना जा रहा है क्योंकि अप्रैल-मई में जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें तमिलनाडु भी शामिल है। अब देखने वाली बात यह होगी कि शशिकला किस तरह से सियासी अखाड़े में कूदती हैं क्योंकि अन्नाद्रमुक से उन्हें निष्कासित किया जा चुका है।
तमिलनाडु की सियासत में काफी असरदार
पूर्व में तमिलनाडु की सियासत में शशिकला का काफी असर रहा है और जयललिता को राजनीति में अम्मा बनाने में शशिकला का ही हाथ माना जाता रहा है। जयललिता के बेहतर राजनीतिक प्रबंधन में भी शशिकला की अहम भूमिका मानी जाती रही है।
जयललिता के निधन के बाद शशिकला पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि शशिकला तमिलनाडु के सियासी अखाड़े में खुद को किस तरह से पेश करती हैं।
भाजपा और अन्नाद्रमुक दोनों को नुकसान
आय से अधिक संपत्ति मामले में शशिकला के जेल जाने के बाद उनके भतीजे दिनाकरन ने अम्मा माकल मुनेत्र करगम (एएमएमके) की कमान संभाली थी। राज्य में पार्टी का वोट करीब 5 से 6 फीसदी के बीच है।
ऐसे में कुछ जानकारों का मानना है कि शशिकला के चुनाव मैदान में उतरने से अन्नाद्रमुक और भाजपा दोनों को चोट पहुंचेगी।
पलानीसामी के धोखे को नहीं भूलीं शशिकला
मौजूदा समय में अन्नाद्रमुक के प्रमुख व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी से शशिकला का 36 का आंकड़ा है। तमिलनाडु में पन्नीरसेल्वम को जयललिता का सबसे करीबी माना जाता था जबकि पलानीसामी जयललिता के सबसे विश्वसनीय माने जाते थे।
बाद में पलानीसामी ने शशिकला से किनारा कर लिया और भाजपा से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए। पलानीसामी के इस धोखे को शशिकला भूली नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान उनका पूरा हमला पलानीसामी पर ही रहेगा।
पलानीसामी को बताया था विश्वासघाती
जेल जाते समय भी शशिकला ने पलानीसामी पर जोरदार हमला बोलते हुए उन्हें विश्वासघाती तक बताया था। जयललिता के निधन के बाद पार्टी की बैठक होने पर पलानीसामी ने ही पार्टी प्रमुख के लिए शशिकला के नाम का प्रस्ताव किया था और पन्नीरसेल्वम ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
बाद में इन दोनों नेताओं ने शशिकला से मुंह फेर लिया। यही कारण है कि माना जा रहा है कि शशिकला उस अपमान को नहीं भूली होंगी और उनके निशाने पर मुख्य रूप से पलानीसामी ही रहेंगे।
अन्नाद्रमुक और भाजपा नेताओं की बैठक
जानकारों का कहना है कि शशिकला की रिहाई के बाद अन्नाद्रमुक को सियासी नुकसान हो सकता है। अगर शशिकला अन्नाद्रमुक के 5 फीसदी वोट भी काटने में कामयाब रहीं तो पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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यही कारण है कि शशिकला की रिहाई के बाद भाजपा और अन्नाद्रमुक के नेताओं की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। दोनों पार्टियां इस बात पर चर्चा करने में जुटी हैं कि किस तरह वोट प्रतिशत बढ़ाया जाए। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि अन्नाद्रमुक किस तरह शशिकला की चुनौतियों से निपटती है।
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