सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र परभड़के तेजस्वी, लिखा- 'जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की..'

Agneepath Scheme : ये पूरा विवाद अग्निपथ योजना के तहत फॉर्म में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने को लेकर है। विपक्ष का आरोप है कि ऐसा पहली बार हो रहा है।

Newstrack :  Network
Update: 2022-07-19 09:05 GMT

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Social media)

'अग्निपथ योजना' (Agneepath Scheme) की आग सियासी गलियारों में अब तक बुझी नहीं है। नया विवाद सेना की बहाली में 'जाति' पूछने पर शुरू हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, सत्तारुढ़ दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी भारतीय सेना (Indian Army) से जवाब मांगा है।

वहीं, इस मामले पर अब बीजेपी का कहना है कि 'यह केवल कागजी दस्तावेज की एक प्रक्रिया है, जिसे पूरा करना बहुत जरूरी होता है। यह पॉलिटिकल क्षेत्र का विषय नहीं है। यह सरकारी कामकाज है। यह सेना का कामकाज है।'

तेजस्वी ने किया ट्वीट 

तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार (Modi government) और आरएसएस (RSS) पर तंज कसते हुए कहा कि, 'आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर 'अग्निपथ' व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत?'

'जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की'

तेजस्वी ने आगे लिखा कि, 'संघ की भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन आरएसएस बाद में जाति के आधार पर अग्नि वीरों की छंटनी करेगा।'

उपेंद्र कुशवाहा ने पूछा सवाल

बता दें कि, अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के विरोध में एनडीए (NDA) गठबंधन की पार्टी जदयू भी शामिल है। एक बार फिर से जदयू ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा (JDU Parliamentary Board Chairman Upendra Kushwaha) ने सवाल पूछा कि, 'माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी, सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है, जब इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान ही नहीं है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना चाहिए।'


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