Bihar Politics: कांग्रेस के बाद अब लेफ्ट ने बढ़ाई सीटों की डिमांड, नीतीश के निकलने के बाद महागठबंधन में तेज हुई खींचतान

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की जंग तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब भाकपा माले ने भी लालू यादव की पार्टी राजद पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बढ़ा दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-15 11:20 GMT

इंडिया गठबंधन से बिहार सीएम नितीश कुमार के निकलने के बाद तनाव बाधा, कांग्रेस के बाद अब लेफ्ट ने सीटों की डिमांड: Photo- Social Media

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की जंग तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब भाकपा माले ने भी लालू यादव की पार्टी राजद पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बढ़ा दिया है। भाकपा वाले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के महागठबंधन से बाहर निकालने के बाद निश्चित रूप से हमारी पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी हिस्सेदारी चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक-दो दिनों के भीतर राजद समेत महागठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेताओं से बिहार में सीट बंटवारे के मुद्दे पर बातचीत की जाएगी। नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने पहले ही अपनी सीटों की डिमांड बढ़ा दी है और अब लेफ्ट की ओर से भी ज्यादा सीटों की मांग की जा रही है। सहयोगी दलों की सीटों की इस मांग को पूरा करना अब राजद के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है।

राज्यसभा चुनाव में लेफ्ट की अनदेखी

भाकपा माले की ओर से पहले बिहार की 40 में से पांच लोकसभा सीटों की मांग की गई थी मगर अब माले और ज्यादा सीटों की डिमांड कर रहा है। भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार विधानसभा में उनकी पार्टी के 12 विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं दी गई।

उन्होंने कहा कि राज्यसभा सीट के लिए उनकी पार्टी की ओर से किया जा रहा दावा उचित था मगर बाद में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद महागठबंधन के हित में हमने पांव वापस खींच लिए। हालांकि उन्होंने इस बात का खंडन किया कि राज्यसभा सीट के लिए वे खुद दावेदार थे। उनका कहना है कि इन खबरों में तनिक भी सच्चाई नहीं है।

बिहार में राज्यसभा की छह सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। महागठबंधन की ओर से इस चुनाव में तीन प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए हैं। राजद की ओर से मनोज झा और संजय यादव तथा कांग्रेस की ओर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है। भाकपा माले की ओर से भी एक सीट मांगी जा रही थी मगर उसे किसी तरह मनाया गया है।

लोकसभा चुनाव की गुत्थी उलझी

राज्यसभा चुनाव की गुत्थी सुलझने के बाद अब लोकसभा चुनाव की गुत्थी उलझने लगी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहले ही अपने डिमांड बढ़ा दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर इस बार पार्टी की ओर से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ पार्टी हाईकमान की बैठक के दौरान भी प्रदेश के नेताओं ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी मगर नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ने के बाद अब कांग्रेस की डिमांड बढ़ गई है।

अभी तक कांग्रेस की ओर से राज्य में 2019 के सीट शेयरिंग के फार्मूले के आधार पर नौ-दस सीटों की डिमांड की जा रही थी मगर अब कांग्रेस ने राजद नेतृत्व पर पिछले चुनाव की अपेक्षा ज्यादा सीटे देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

सीटों की डिमांड बढ़ने से राजद की मुश्किलें बढ़ीं

महागठबंधन में शामिल वामदलों की ओर से भी ज्यादा सीटों की डिमांड की जा रही है और इस कारण राजद नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ गई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि महागठबंधन में 15 फरवरी के बाद सीटों के बंटवारे पर फैसला कर लिया जाएगा।

उनका कहना है कि नीतीश कुमार के महागठबंधन से बाहर निकालने के बाद अब सीट बंटवारे में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। हालांकि सियासी जानकारों के मुताबिक महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान साबित नहीं होगा।

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