नई दिल्ली: असुरक्षित महिलाएं घर से बाहर निकलने की सोच कर डरती हैं क्योंकि बस, शेयर्ड ऑटो और सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यमों में सफर के दौरान उन्हें अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। अगर ये गाड़ियां खाली हैं तो 63 फीसदी महिलाओं का मानना है कि उन्हें सफर करने में भय लगता है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है।
असुरक्षित महिलाएं : अध्ययन में यह भी बताया गया है कि अविवाहित महिलाओं और छात्राओं को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है। छात्राओं (57.1 प्रतिशत) और अविवाहित महिलाओं (50.1फीसदी) को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है। भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में करीब 90 फीसदी महिलाएं सुनसान और असुरक्षित इलाकों की वजह से वहां सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं।
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यह अध्ययन सामाजिक उद्यम ‘सेफ्टिपिन’, सरकारी संगठन केओआईसीए (कोरिया इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी) और एनजीओ एशिया फाउंडेशन ने किया है। इस अध्ययन में मध्य प्रदेश के भोपाल और ग्वालियर तथा राजस्थान के जोधपुर में किए गए 219 सर्वेक्षणों को शामिल किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक, 89 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्हें सुनसान इलाकों की वजह से असुरक्षित महसूस होता है। 63 प्रतिशत महिलाओं ने कहा है कि सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों के लगभग खाली होने की वजह से उन्हें डर लगता है।
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असुरक्षित महिलाएं : 86 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि आसपास मादक पदार्थ और शराब की बिक्री की वजह से वे असुरक्षित महसूस करती हैं। 68 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सुरक्षा की कमी से उन्हें असुरक्षा का अहसास होता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घूरना, पीछा करने, फब्तियां कसने और छूने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इन्हें यौन उत्पीड़न जितना गंभीर नहीं माना जाता है। इसमें बताया गया है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर उत्पीड़न की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।
सार्वजनिक स्थान भी सुरक्षित नहीं
अध्ययन के मुताबिक, करीब 50 फीसदी में से 39 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक परिवहन और बाजारों को ऐसे सार्वजनिक स्थलों के तौर पर बताया है जहां उत्पीड़न की काफी घटनाएं होती हैं। इसमें बताया गया है कि 26 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि वे सड़क किनारे यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, जबकि 16 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक परिवहन का इंतजार करने के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
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असुरक्षित महिलाएं : इस अध्ययन के अलावा भी दिल्ली पुलिस ने इस साल की शुरुआत में जो आंकड़े जारी किये थे उन आंकड़ों ने एक बात साफ कर दी कि महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित घर या जानपहचान वालों से हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक दुष्कर्म के 97.5 फीसदी मामलों में आरोपी कोई अनजान नहीं बल्कि पीडिता के अपने हैं।यानी महिलाओं से दुष्कर्म करने वाले केवल 2.5 फीसदी लोग ही ऐसे है जो पीडि़ता से अनजान रहे हैं।
परिचित ही अपराधी
इसी तरह वर्ष 2018 में देश की राजधानी दिल्ली में दुष्कर्म के 2043 मामले सामने आए जिनमें से 1992 मामलों में पुलिस ने पीडित महिला के रिश्तेदारों, पड़ोसी, स्टाफ, परिजनों के दोस्त और अब नया चलन चले लिव इन के साथी ही आरोपित रहे हैं।
इससे अधिक दुर्भाग्य क्या होगा कि महिलाएं घर परिवार और कार्यक्षेत्र में ही सबसे अधिक असुरक्षित हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि महिलाएं घर से लेकर बाहर तक कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।