बच्चों के बचपन का आनंद रोटावा-सी5डी-आर के संग : उपराष्‍ट्रपति

रोटा वायरस है क्या जिसे लेकर उपराष्ट्रपति ने जागरुकता अभियान को आरंभ किया है। शायद आपको पता हो दुनिया भर में बच्चों और नवजात शिशुओं में डायरिया की सबसे आम वजह है रोटावायरस। जी हां रोटावायरस से होने वाले संक्रमण बेहद कष्टकर होते हैं उन में से ज्यादातर का इलाज घर पर ही अतिरिक्त तरल पदार्थ के जरिए शरीर में पानी की कमी की रोकथाम कर किया जा सकता है।

Update: 2019-12-03 13:44 GMT

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार नई दिल्ली में भारत बायोटेक द्वारा डिज़ाइन और विकसित किए गए नए रोटावायरस वैक्सीन रोटावा-सी5डी-आर का शुभारंभ किया।

रोटा वायरस है क्या जिसे लेकर उपराष्ट्रपति ने जागरुकता अभियान को आरंभ किया है। शायद आपको पता हो दुनिया भर में बच्चों और नवजात शिशुओं में डायरिया की सबसे आम वजह है रोटावायरस। जी हां रोटावायरस से होने वाले संक्रमण बेहद कष्टकर होते हैं उन में से ज्यादातर का इलाज घर पर ही अतिरिक्त तरल पदार्थ के जरिए शरीर में पानी की कमी की रोकथाम कर किया जा सकता है।

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बच्चे के शरीर में पानी के कमी अधिक हो जाने पर मरीज को अस्पताल ले जाकर पानी चढ़ाने (इंट्रावीनस फ्लूइड) की जरूरत पड़ जाती हैं। शरीर में पानी की कमी होना, रोटावायरस से पैदा होने वाली गंभीर परेशानी है और यह विकासशील देशों में शिशुओं की मौत की एक बड़ी वजह भी है।

सालाना 78 हजार मौतें

रोटावा-सी5डी-आर वैक्सीन के टीकाकरण से आपके बच्चे का रोटावायरस से बचाव हो सकता है। वयस्कों और थोड़े बड़े बच्चों में रोटावायरस संक्रमण होने की आशंका अधिक नहीं होती है। वे नियमित रूप से हाथ धोकर इससे अपना बचाव कर सकते हैं।

रोटावा-सी5डी-आर को लॉन्च करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि रोटावायरस के प्रसार से निपटने में वैक्सीन काफी मददगार होगा। इसके कारण भारत में लगभग 8,72,000 मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं, 32 लाख बाहरी मरीज अस्‍पताल आते हैं और सालाना 78 हजार मौतें होती हैं।

दुष्प्रचार का तत्काल उन्मूलन जरूरी

उपराष्ट्रपति ने चिकित्सकों, मीडिया और नागरिक समाज से टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाने और आशंकाओं को दूर करने में सरकार के साथ भागीदारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि खासकर सोशल मीडिया के माध्यम से टीकाकरण के बारे में फैलाई जा रही गलत जानकारी के समाधान की तत्काल आवश्यकता है।

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श्री नायडू ने कहा कि यह बीमारी कई भारतीय परिवारों को, खासकर गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को काफी आर्थिक संकट में डाल सकती है और देश पर महत्वपूर्ण आर्थिक बोझ भी डाल सकती है।

टीकाकरण बच्चों का मूल अधिकार

उन्‍होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे को जीवनरक्षक टीकों से लाभान्वित होना चाहिए और एक आनंदमय बचपन और उल्‍लासपूर्ण जीवन जीना चाहिए। उन्‍होंने टीकाकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टीकाकरण बच्चों का मूल अधिकार है और किसी भी बच्चे के स्वास्थ्य, भलाई और खुशी की कुंजी है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत 2022 तक डायरिया के कारण बच्चों में रुग्णता और मृत्यु दर को शून्‍य के स्‍तर पर लाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। उन्‍होंने कहा कि अपना देश हरेक बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

चिकित्सक भी जागरुकता के लिए आगे आएं

उपराष्ट्रपति ने लोगों से लोगों में बदलती जीवनशैली और आहार संबंधी आदतों के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए चिकित्‍सकों का भी आह्वान किया। उन्होंने वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए फिट इंडिया, स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढाई और योग जैसे कार्यक्रमों को जनांदोलनों में बदलने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला, भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला, भारत बायोटेक के अध्‍यक्ष साई प्रसाद और 14 से अधिक देशों के प्रतिनिधि उपराष्ट्रपति भवन में उपस्थित थे।

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