सड़कों पर उतरे हजारों लोग: कार्रवाई में कई लोग घायल, 1 की हुई मौत

कश्मीर घाटी में बृहस्पतिवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर आकर कर शांतिपूर्ण आंदोलन को बंद करने की पुलिस की कार्रवाई पर विरोध प्रदर्शन जताया। घाटी में ये शांतिपूर्ण आंदोलन 22 अक्टूबर को हुआ था।

Update: 2019-11-08 05:40 GMT
सड़कों पर उतरे हजारों लोग: कार्रवाई में कई लोग घायल, 1 की हुई मौत

नई दिल्ली : कश्मीर घाटी जो पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में है उसमें बृहस्पतिवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर आकर कर शांतिपूर्ण आंदोलन को बंद करने की पुलिस की कार्रवाई पर विरोध प्रदर्शन जताया। घाटी में ये शांतिपूर्ण आंदोलन 22 अक्टूबर को हुआ था। इस कार्रवाई में 1 आंदोलनकारी की मौत हुई थी और कई लोग घायल हो गए।

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महिलाओं का उत्पीड़न, बच्चों को लाठियों से पीटा

बता दें कि आंदोलनकारियों के मुताबिक, पुलिस के दमन की कार्रवाई सरकार की ताकत के बल पर आवाज दबाने की नीति का क्रियान्वयन है। रह-रहकर यह सिलसिला 1947 से जारी है, जब पाकिस्तानी बलों ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर पाकिस्तान से सटे कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

इसी मसले पर नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन के नेता अफजल सुलेरिया ने कहा, 1947 में हुए हमले में हमारी धरती बंट गई थी। इतिहास फिर खुद को दोहरा रहा है। हिंसा से हालात बिगड़ रहे हैं। भारत के साथ हो रही गोलीबारी में मकान ध्वस्त हो रहे हैं।

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पाकिस्तानी बल महिलाओं का उत्पीड़न कर रहे हैं। बच्चों को लाठियों से पीटा जा रहा है। निर्दोषों पर हमले हो रहे हैं। ऐसे ही एक निर्दोष आंदोलनकारी असलम अब्बासी को बेवजह मार डाला गया। मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, कोई जांच नहीं हुई। किसने मारा-क्यों मारा, इसका किसी के पास जवाब नहीं है।

22 अक्‍टूबर को काला दिवस

कश्मीर घाटी की सभी स्वतंत्र पार्टियों की ओर से 22 अक्टूबर को आजादी की मांग को लेकर जुलूस निकाला गया था। सभी दल 22 अक्टूबर को काला दिवस मनाते हैं क्योंकि 1947 में पाकिस्तान ने इसी दिन जम्मू-कश्मीर पर हमलाकर कश्मीर के इस हिस्से को अपने अधीन कर गुलाम बना लिया था।

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