केंद्र के ये 3 कानून: नए कृषि विधेयकों का हो रहा विरोध, जानें क्यों...?

केंद्र सरकार किसानों से जुड़े बिल को इस बार संसद से पास कराने की कोशिश में है। कोविड के कारण देश में छाये आर्थिक संकट से निबटने के लिए दिए गए पैकेज में किसानों से जुड़े तीन कानून भी थे।

Update:2020-09-17 18:43 IST
केंद्र के ये 3 कानून: नए कृषि विधेयकों का हो रहा विरोध

नई दिल्ली: केंद्र सरकार किसानों से जुड़े बिल को इस बार संसद से पास कराने की कोशिश में है। कोविड के कारण देश में छाये आर्थिक संकट से निबटने के लिए दिए गए पैकेज में किसानों से जुड़े तीन कानून भी थे। इसे मोदी सरकार का अब तक का सबसे बोल्ड रिफार्म माना जा रहा है। लेकिन अभी से देशभर में इसके विरोध में आवाज भी उठने लगी हैं।

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ये तीन कानून हैं -

किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा विधेयक। तीनों से ही कोई भी खुश नजर नहीं आ रहा है।

किसान:

किसान आशंकित हैं कि अगर कीमत सम्बन्धी विधेयक क़ानून बन गया तो वे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही यह विधेयक ‘गारंटीड मूल्य’ को अनिवार्य बनाता है लेकिन ये यह नहीं बताता कि इसे किस तरह तय या निर्धारित किया जाएगा। कीमत को सौदेबाजी के लिए खुला छोड़ दिया गया है। विधेयक के अनुसार गारंटीड कीम को प्रचलित कीमतों से जोड़ा जा सकता है।

राज्य:

संविधान के अनुसार वैसे तो कृषि राज्य का विषय है लेकिन कुछ कृषि संबंधी वस्तुएं संघ और समवर्ती सूची दोनों में हैं। व्यापार और वाणिज्य संबंधी बिल किसानों को उनके संबंधित राज्यों की मंडी परिषदों यानी एपीएमसी के क्षेत्राधिकार के बाहर अपनी उपज बेचने की अनुमति देता है, लेकिन राज्य सरकारों को ऐसे व्यापार पर कोई ‘बाजार शुल्क’ या ‘उपकर’ लगाने से प्रतिबंधित करता है।

व्यापारी: व्यापार और वाणिज्य सम्बन्धी बिल का उद्देश्य एपीएमसी के गिरोहबंदी को तोड़ना है, क्योंकि वर्तमान प्रणाली के तहत किसान अपनी उपज उपभोक्ताओं या कंपनियों को बेच तो सकते हैं लेकिन एपीएमसी के जरिये ये बिक्री की जा सकती है।

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राजनेता:

पंजाब और हरियाणा में किसानों ने विशेष रूप से पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के साथ नाराजगी व्यक्त की है। किसानों ने बिल के खिलाफ विरोध जताते हुए कहा है कि वे इसे अदालत में चुनौती देंगे। राज्यों में भी सबसे पहले इस बिल पर आवाज भाजपा शासित हरियाणा से उठी। वहां दुष्यंत चौटाला ने इस बिल के खिलाफ अपना असंतोष जताया। इसके बाद किसानों का विरोध पंजाब में दिखा। वहां भी किसानों को समर्थन एनडीए के सहयोगी अकाली दल से मिला। पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने तो इतना तक कह दिया कि इससे अशांति तक फैल सकती है। अकाली दल इस बिल का सबसे आक्रामक विरोध करने वाले दलों में शामिल है। बताया जाता है कि जेडीयू भी इस बिल के प्रावधान से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।

घेराबंदी:

जहां तमाम किसान संगठन इसके विरोध में आने लगे हैं, वहीं भाजपा के सहयोगियों ने भी घेरना शुरू कर दिया है. विपक्ष भी देशव्यापी आंदोलन की बातें कर रहा है। आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन ने भी इस बिल के विरोध में सरकार के सामने अपनी चिंता रखी है।

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