AIADMK में उभर रही सत्ता की तीन धुरी, जानें क्यों हैं 'अम्मा' के इतने करीब?
नई दिल्ली: ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सुप्रीमो और तमिलनाडु की सीएम जयललिता की नाजुक हालत और राजनीतिक संशय के बीच वहां की सत्ता के तीन केंद्र उभरने लगे हैं। 'अम्मा' की गंभीर बीमारी के मद्देनजर उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं जारी हैं।
हालांकि इस वक्त इस दौर में पन्नीरसेलवम सबसे आगे दिख रहे हैं। इसे लेकर सोमवार शाम पार्टी दफ्तर पर विधायकों की बैठक भी हुई। लेकिन जानकार मानते हैं कि तमिलनाडु की राजनीति में तेजी से बदलते घटनाक्रम को देखते हुए एआईएडीएमके के भीतर सत्ता के तीन केंद्र उभरने लगे हैं।
जानिए कौन हैं ये तीन चेहरे:
-ओ पन्नीरसेल्वम : पार्टी के भीतर जयललिता के बेहद करीब माने जाने वाले पन्नीरसेलवम इस वक्त सबसे मजबूत स्थिति में हैं। बीते समय में भी जब-जब जयललिता मुश्किल में आईं, इन्हें ही वो पार्टी की जिम्मेदारी सौंपती थीं। अपनी गैरमौजूदगी के दौरान भरोसा जताते हुए दो बार उन्हें सीएम भी बनाया। पिछली बार भी वह तब मुख्यमंत्री बने थे जब जयललिता भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गई थीं। हालांकि बाद में वह बरी हो गईं और वापस सत्ता की कमान अपने हाथ में ली। इस बार भी जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने पर आठ विभागों का प्रभार पन्नीरसेल्वम को ही दिया गया।
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पन्नीरसेल्वम समय-समय पर जयललिता के प्रति वफादारी दिखाते रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता को दंडवत प्रणाम करने की उनकी तस्वीरें उस वक्त काफी सुर्खियां बटोर चुकी है। वे जयललिता की अनुपस्थिति में उनकी फोटो रखकर कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते रहें हैं। कई बार सार्वजनिक रूप से जयललिता के लिए रोते भी दिखाई दिए हैं।
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-शशिकला नटराजन: इसके बाद नंबर आता है जयललिता की सबसे नजदीक मानी जाने वाली सहयोगी शशिकला नटराजन की। जयललिता के साथ इन पर भी भ्रष्टाचार के मामले चले हैं। शशिकला नटराजन के भतीजे को जयललिता ने दत्तक पुत्र माना था। 1995 में उसकी भव्य शादी के चर्चे आज भी गाहेबगाहे होते हैं। उस समय उस शादी में डेढ़ लाख लोगों के अलावा, हाथियों और ढोल-नगाड़ों के बीच शादी का आयोजन हुआ था। भारी तामझाम और खर्चे के कारण उस वक्त इस वजह से जयललिता की काफी आलोचना भी हुई थी। इस समय शशिकला ही अस्पताल में जयललिता की देखभाल का पूरा जिम्मा उठा रखी हैं।
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-शीला बालाकृष्णन: पार्टी के भीतर तीसरी धुरी के तौर पर राज्य की पूर्व मुख्य सचिव और सीएम की सलाहकार शीला बालाकृष्णन का नाम आता है। जयललिता की अस्पताल में मौजूदगी के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू ढंग से चलाने की जिम्मेदारी इन्हीं की है। इन्हें भी जयललिता के विश्वासपत्रों में गिना जाता है।
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अफवाह के बाद समर्थकों ने की पत्थरबाजी
गौरतलब है कि तमिलनाडु की सीएम जयललिता को रविवार शाम एक बार फिर दिल का दौरा पड़ा था। उसके बाद से उनकी हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है। सोमवार शाम को उनकी मौत की अफवाह के बाद पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा आधा झुका दिया गया था। हालांकि बाद में उसे फिर सीधा कर लिया गया। इस दौरान अपोलो अस्पताल के बाहर खड़े उनके समर्थक उग्र हो गए और पत्थरबाजी भी की। इसी अस्पताल में जयललिता भर्ती हैं।
अपोलो अस्पताल ने हेल्थ बुलेटिन जारी कर कहा कि जयललिता की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।