'TMC में की जा रही नीचा दिखाने की कोशिश, 16 जनवरी को लूंगी फैसला': शताब्दी राय
टीएमसी सांसद ने मतदाताओं के नाम संदेश में लिखा कि उन्हें पार्टी के कुछ लोगों द्वारा नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। अगर मैं कोई निर्णय लेती हूं तो मैं इसे 16 जनवरी को दो बजे घोषित करूंगी।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है।
अब तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करीबी और टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
ये कयास शताब्दी के समर्थकों के फेसबुक पोस्ट से लगाए जा रहे हैं। शताब्दी रॉय साल 2009 से बीरभूम से सांसद हैं।
इस मामले में अभी टीएमसी की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बयां किया दर्द
शताब्दी रॉय ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पार्टी से अपनी नाराजगी को बयां किया है। अभिनेत्री से नेता बनीं रॉय ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'मुझसे लोग पूछ रहे हैं कि मैं पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिख रही हूं।
मुझे अपने लोगों के साथ रहना पसंद है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो नहीं चाहते कि मैं आप सबके साथ रहूं। अक्सर मुझे कार्यक्रमों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है, मैं क्या कर सकती हूं?'
टीएमसी सांसद ने मतदाताओं के नाम संदेश में लिखा कि उन्हें पार्टी के कुछ लोगों द्वारा नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। शताब्दी रॉय फैन क्लब नाम के फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए गए पोस्ट में उन्होंने कहा कि अगर मैं कोई निर्णय लेती हूं तो मैं इसे 16 जनवरी को दो बजे घोषित करूंगी।
मैं काम करने की पूरी कोशिश करती हूं, यहां तक कि दुश्मन भी इसे स्वीकार करते हैं। इसलिए इस नए साल में मैं एक निर्णय लेने की कोशिश में हूं, ताकि मैं आपके साथ पूरी तरह से रह सकूं।
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यह है नाराजगी की वजह
टीएमसी सूत्रों का कहना है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद बीरभूम सांसद शताब्दी रॉय शायद ही जिले में आयोजित पार्टी के किसी कार्यक्रम में दिखाई दी हैं।
लोगों ने आखिरी बार उन्हें 28 दिसंबर को सीएम ममता बनर्जी की बीरभूम में आयोजित रैली में देखा था। इस रैली में हालांकि ममता बनर्जी ने उन्हें पर्याप्त महत्व दिया था और कई बार रैली में उनका नाम लिया था।
लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब से शताब्दी रॉय ने सांसद विकास निधि का पैसा जनता में बांटा है स्थानीय नेता उनसे नाराज हैं। नाराजगी की वजह यह है कि ऐसा करते समय उन्होंने विकास कार्यों का चुनाव करते समय पार्टी की राय नहीं ली।
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