भारत के खौफनाक किले: जहां से कोई लौटकर नहीं आता, रहस्यों के ल‍िए हैं मशहूर

भारत में ऐसे कई प्राचीन किले हैं जो जो न केवल अपनी खूबसूरती व दिव्यता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनसे जुड़ी खौफनाक कहानियां भी दुनियाभर में मशहूर हैं।

Update: 2021-03-23 06:52 GMT
भारत के खौफनाक किले: जहां से कोई लौटकर नहीं आता

नई दिल्ली: भारत में ऐसे कई प्राचीन किले हैं, जिनमें भारतीय संस्कृति, सभ्यता, नवाबी, राजा, महाराजाओं की ठाठ को समेटे हुए हैं। इनमें से कुछ किले ऐसे भी हैं जो केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों के पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र हैं। इसके अलावा कई ऐसे भी हैं, जो न केवल अपनी खूबसूरती व दिव्यता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनसे जुड़ी खौफनाक कहानियां भी दुनियाभर में मशहूर हैं।

भारत के Mysterious किले

तो आज हम आपको भारत के कुछ ऐसी ही रहस्यमयी किलों (Mysterious Forts In India) से रूबरू कराने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में-

(फोटो- सोशल मीडिया)

भानगढ़ किला

भानगढ़ के किले के बारे में तो आपने सुना ही होगा। राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला अपने डरावने और खौफनाक रहस्यों के लिए मशहूर है। अरावली पर्वत पर स्थित इस किले पर जाने के लिए आज भी लोग हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। कहते हैं कि जो इस किले में जाता है वो दोबारा नहीं आ पाता। इस किले में कोई शख्स अकेले नहीं जाता है और यहां पर शाम के बाद जाने पर रोक है। बता दें कि इस किले को लेकर कई भूतिया कहानियां हैं और इसे लेकर रहस्य आज तक बना हुआ है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

रोहतासगढ़ किला

बिहार के रोहतास जिले में स्थित रोहतासगढ़ किला भी देश के रहस्यमयी किलों में से एक है। यह बिहार का सबसे प्राचीन और रहस्यमयी किला कहा जाता है। इसका निर्माण राजा महाराजाओं ने युद्ध के दौरान छिपने के लिए करवाया था। इस किले में भी लोग रात में जाने से डरते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रात में इस किले के अंदर से जोर जोर से चीखने की आवाजें आती हैं। यही नहीं लोग तो दिन में भी इस किले के अंदर अकेले नहीं जाते हैं।

रायसेन का किला

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह किला मध्य प्रदेश में भोपाल के रायसेन जिले में स्थित है। इस किले में आज भी पारस पत्थर मौजूद है। इसे लेकर एक कहावत भी है कि पारस से पत्थर भी सोना बन जाता है। रायसेन का किला राजधानी भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे लेकर कई तरह के किस्से हैं। कहा जाता है कि इस किले में कई रहस्य दफन है। कहा तो ये भी जाता है कि इस किले में मौजूद पारस पत्थर की रखवाली मनुष्य नहीं बल्कि जिन्न करते हैं।

बता दें कि यह किला सदियों पुराना है। इस किले को लेकर कहा जाता है कि यहां के राजा रायसेन के पास पारस पत्थर था, जिसे लेकर कई युद्ध लड़े गए ते। लेकिन कोई भी इसे पा नहीं सका। भले ही राजा रायसेन युद्ध हार गए, लेकिन फिर भी पारस पत्थर किसी के हांथ नहीं लगा। बताया जाता है कि युद्ध में खुद को हारते देख राजा ने पारस पत्थर को तालाब में फेंक दिया था, तब से यह पत्थर किसी को नही मिला।

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राजा रायसेन के साथ ये पारस पत्थर भी गुम हो गया। लोगों का मानना है कि रहस्यमयी पारस पत्थर आज भी किले के अंदर मौजूद है। कई लोगों ने इस पत्थर को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन किले के अंदर जाने के बाद उसका मानसिक संतुलन खराब हो जाता है। या फिर वह अपनी याद्दाश्त खो बैठता है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

बंधावगढ़ का किला

ये किला भी मध्य प्रदेश में स्थित है। राज्य के उमड़िया जिले में स्थित बंधावगढ़ का किला भारत के रहस्यमयी किलों में से एक है। बंधावगढ़ पहाड़ी पर स्थित इस किले में भगवान विष्णु की स्वैन मुद्रा में एक विशालकाय मूर्ती है, जो अपने अंदर दो हजार साल का रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए है। इस किले का निर्माण 2000 साल पहले हुआ था। कहा जाता है कि न केवल यह किला बल्कि जिस पहाड़ पर यह किला स्थित है वो भी रहस्यमयी और अद्भुत है। इस किले और पहाड़ का उल्लेख नारद पंच और शिव पुरांण में भी मिलता है।

बंधावगढ़ किले के अंदर जाने के लिए एक ही रास्ता है, जो घने जंगलों से होकर जाता है। इसके अंदर एक सुरंग है, जो सीधे रीवा तक पहुंचाती है। राजा गुलाब सिंह और उनके पिता मार्तण्डं सिंह इसे खुफिया किले के तौर पर इस्तेमाल करते थे। कहा जाता है कि किले के अदर सात तालाब हैं, जो आज भी नहीं सूखे हैं। हालांकि यहां पर घने जंगल और दुर्गम रास्ते होने की वजह से प्रशासन ने यहां आने पर रोक लगा दी है।

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