Kurmi Community Andolan: कुर्मी समुदाय के आंदोलन से पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा में रुकीं ट्रेनें

Kurmi Community Andolan: कुर्मी समुदाय के लोगों द्वारा किये जा रहे आंदोलन से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में ट्रेन सेवाएं बीते दो दिनों से प्रभावित हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-09-21 11:23 GMT

कुर्मी समुदाय के आंदोलन में ट्रेनें रुकीं। (Social Meida)

Kurmi Community Andolan: कुर्मी समुदाय के लोगों द्वारा किये जा रहे आंदोलन से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में ट्रेन सेवाएं बीते दो दिनों से प्रभावित हैं। पश्चिम बंगाल के कम से कम चार जिलों के कुर्मी समुदाय (Kurmi community) के हजारों सदस्यों ने मंगलवार को पुरुलिया और पश्चिम मिदनापुर में जंगल महल में स्थित पांच अलग-अलग संगठनों के एक संयुक्त मंच के तहत राज्य और केंद्र सरकारों (State And Central Government) के हस्तक्षेप की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। ये समुदाय अनुसूचित जनजाति का स्टेटस और कुरमाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहा है।

मांगों को लेकर आंदोलनकारियों ने की रेल पटरियां जाम

अपनी मांगों को लेकर आंदोलनकारियों ने जंगल महल जिलों में कई जगहों पर रेल पटरियों को जाम कर दिया है। पश्चिम मिदनापुर के खेमाशुली में प्रदर्शनकारियों ने कलकत्ता-मुंबई राजमार्ग को घेर लिया। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमासुली और पुरुलिया जिले के कस्तौर में मंगलवार सुबह चार बजे से नाकेबंदी शुरू हुई है।

आंदोलन के कारण 53 ट्रेनें रद्द

आंदोलन के कारण 53 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, 33 ट्रेनों का मार्ग बदल दिया गया और 40 ट्रेनों के समय में बदलाव किया गया। बंगाल के अलावा ओडिशा और झारखंड के कुर्मी समुदाय के लोग भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं।

हमारे समुदाय और भाषा को उनका हक दिया जाए: अध्यक्ष

संगठन के बंगाल समिति के अध्यक्ष राजेश महता ने कहा कि - "हमें आजादी के तुरंत बाद एसटी के रूप में नामित किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। हम मांग करते हैं कि हमारे समुदाय और भाषा को उनका हक दिया जाए।"

बंगाल में लगभग 50 लाख कुर्मी

समझा जाता है कि बंगाल में लगभग 50 लाख कुर्मी हैं और उनके वोट चार जंगल महल जिलों में कम से कम 35 विधानसभा सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुर्मी समुदाय के सदस्यों ने दावा किया है कि उन्हें 1931 तक अनुसूचित जनजाति के रूप में पंजीकृत किया गया था लेकिन स्वतंत्रता के बाद "अज्ञात कारणों" के लिए एसटी सूची से बाहर रखा गया था। उन्होंने कहा कि वे ओबीसी सूची में शामिल थे लेकिन एसटी समुदाय की सुविधाओं के पात्र हैं।

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