नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर दिए गए फैसले का स्वागत किया और इसे भारत में मुस्लिम महिलाओं की आजादी व सशक्तिकरण के हक में बताया। आरएसएस की मुस्लिम इकाई 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' द्वारा आयोजित एक समारोह में दर्जनों मौलवियों ने भाग लिया।
समारोह में आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा, "यह एक क्रांतिकारी फैसला है और इसने भारत में रहने वाली आठ से नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाई है।"
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तीन तलाक के खिलाफ बोलते हुए इंद्रेश कुमार ने मौलवियों से तीन तलाक पर सर्वोच्च अदालत द्वारा लगाए प्रतिबंध की सराहना करने और इसका जश्न मनाने के लिए एकजुट होने और आवाज बुलंद करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "क्या आप सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से खुश हैं? क्या आप इसका जश्न नहीं मनाएंगे?"
इस पर मौलवियों ने एक स्वर में 'हां' कहा।
आरएसएस की मुस्लिम इकाई के संरक्षक कुमार ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने मुस्लिमों व इस्लाम को अतिवाद व कट्टरपंथ के ठेकेदारों से मुक्त कराया व बचाया है।
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उन्होंने कहा, "यह तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों का अंत होगा। इस प्रथा को अल्लाह ने नापसंद कर दिया और अब यह पाप है। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं के साथ इंसाफ हुआ है।"
कुमार ने कहा, "इसने अतिवादियों व कट्टरपंथियों द्वारा कुरान की गलत व्याख्या पर भी लगाम लगा दिया है। मैं यह नहीं कहता कि यह उनके मुंह पर तमाचा है, लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि मुस्लिम यह समझ चुके हैं कि कुछ नेता गलत व्याख्या करके कुरान से उनको दूर कर रहे हैं और लड़ने के लिए उकसा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि 22 अगस्त को महिला सशक्तिकरण दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए। उन्होंने सर्वोच्च अदालत व सरकार से अब तीन तलाक की पीड़ितों व उनके बच्चों के कल्याण के बारे में सोचने को कहा।
उन्होंने कहा, "इस तरह की महिलाओं व बच्चों की संख्या लाखों व करोड़ों में है।"