नई दिल्ली : पिछले 25 सालों से पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य पर एक छत्र राज कर रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और 20 साल से लगातार शासन कर रहे मुख्यमंत्री माणिक सरकार के लिए 2018 का चुनाव इतिहास रचने वाला होगा। अगर माकपा इस बार फिर सत्ता में आती है तो वह भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा शासन करने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में पहले स्थान पर पहुंच जाएंगे, जिसमें सिमना विधानसभा सीट उनके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।
देश में अब तक बतौर मुख्यमंत्री का सबसे लंबा कार्यकाल माकपा के दिग्गज नेता ज्योति बसु का रहा है। वह जून 1977 से लेकर आठ नवंबर 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। उन्होंने 23 साल, चार महीने और 16 दिन बतौर मुख्यमंत्री अपनी सेवाएं दी थीं।
बात त्रिपुरा विधानसंख्या सीट संख्या-1 सिमना की
त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा सिमना विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान मतदाताओं की संख्या 35,881 है, जिसमें से 18019 पुरुष मतादाता और 17,862 महिला मतदाता अपने मत का प्रयोग कर अपने विधायक का चुनाव करेंगे।
बात करें क्षेत्रीय राजनीति की तो 1972 से अब तक हुए नौ विधानसभा चुनावों में सिमना सीट पर माकपा का परचम लहरा है। इसके साथ ही पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज होने के साथ साथ इस विधानसभा क्षेत्र पर माकपा के दिग्गज नेता प्रणव देववर्मा का कब्जा बना हुआ है। प्रणव 1993 से लेकर अब तक चुनावों में एकतरफा विजयी रहे हैं।
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वर्ष 1988 में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के एमबीबी कॉलेज से बीए में स्नातक राज्य माकपा इकाई के कद्दावर नेताओं में शुमार और अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने जाने वाले प्रणव देववर्मा ने लगातार छठी बार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है।
प्रणव को विधानसभा के सबसे शालीन नेताओं में से एक के रूप में जाना जाता है। त्रिपुरा इलेक्शन वॉच के मुताबिक, प्रणव उन चार विधायकों में से एक हैं, जिनकी सदन में हाजिरी 100 फीसदी है।
वहीं इन चुनावों में मुख्य विपक्ष के तौर पर उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने किसी उम्मीदवार को यहां से टिकट नहीं दिया है। इसलिए यहां माकपा का सीधा मुकाबला इंडीजीनियस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) से है।
राज्य की मुख्य पार्टियों में से एक कांग्रेस ने सिमना विधानसभा सीट से फनीलाल देववर्मा को उतारा है। 10वीं पास फनीलाल 51 वर्ष के हैं और कांग्रेस के साथ पिछले कुछ समय से जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा क्षेत्रीय दल, जैसे त्रिपुरा पीपुल्स पार्टी ने अनंत उरांग, इंडीजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने वृषकेतु देववर्मा और आईएनपीटी ने रवींद्र देववर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। सुबोध देववर्मा बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
आईएनपीटी ने अपने छह बार के असफल उम्मीदवार रहे रवींद्र देववर्मा पर ही दांव आजमाया है। रवींद्र लगातार सातवीं बार और छठी बार प्रणव देववर्मा को टक्कर देंगे। रवींद्र पिछले सभी पांच चुनावों में प्रणव को कड़ी टक्कर देते रहे हैं।
त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 18 फरवरी को होगा और वोटों की गिनती तीन मार्च को मेघालय और नगालैंड के साथ की जाएगी।