नोटबंदी से बढ़े मनी लांड्रिंग के मामले, जानें आपके खातों के जरिए कैसे होता है कालाधन सफेद
नई दिल्ली: एक्सिस बैंक के दो मैनेजरों को 'मनी लांड्रिंग' के मामले में पुलिस ने जांच के बाद गिरफ्तार किया है। 15 से अधिक लोगों को निलंबित भी किया गया है। लेकिन ये छोटा मामला है जो सामने आया है। मनी लांड्रिंग में शामिल लोगों की जड़ें काफी गहरी हैं। ऐसे लोगों का पता तो गहरी और गहन जांच के बाद ही चलेगा।
बीते 8 नवंबर को जब से 1,000 और 500 रुपए की नोटबंदी ने कालाधन रखने वालों की नींद उड़ा दी है। अपने कालेधन को सफेद करने के लिए ऐसे लोगों ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों का सहारा लिया है। ऐसे लोगों की सहायता के लिए कुछ बैंकों के मैनेजर कमीशन के चक्कर में सामने आए हैं। मनी लांड्रिंग में मदद कर कुछ मैनेजर रातों रात लखपति भी बन चुके हैं।
ऐसे होता है कालाधन सफ़ेद
एक बैंक के मैनेजर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कैसे कालेधन को सफेद करने के लिए काम किया जा रहा है। बैंक की मदद से कुछ ग्रुप किसी कंपनी के नाम से बैंक एकाउंट खोल रहे हैं जिसमें कालाधन जमा कर दिया जाता है। बाद में जमा रकम को अलग-अलग खाते में जमा कर दिया जाता है। अलग-अलग खाते ज्यादातर ज्वैलर्स और रीयल इस्टेट वालों के होते हैं।
आगे पढ़िए कैसे चलता है कालाधन सफेद करने का पूरा धंधा...
बैंक मैनेजर लगा रहे पलीता
पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के आदेश के बाद सबसे ज्यादा मार ज्वैलर्स और रीयल इस्टेट वालों पर ही पड़ी है। क्योंकि देश में जमा कालाधन अधिकतर इन दो जगहों पर ही लगता रहा है। लेकिन बैंक के मैनेजर पीएम के कालाधन बंद करने के कार्यक्रम को पलीता लगाने में जुटे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने दो को दबोचा
प्रवर्तन निदेशालय ने मिली जानकारी के बाद जब दो बैंक मैनेजरों को गिरफ्तार किया तो मनी लांड्रिंग के तरीके की जानकारी हुई। दोनों मैनेजर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं।
... तो ऐसे होता है कालाधन सफेद
जानकारी देने वाले मैनेजर ने कहा कि कालेधन वालों की मदद करने के लिए बैंक ऐसे खातों को देखती है जो केवाईसी (नो योर कस्टमर) से नहीं जुडे हैं। मैनेजर गरीबों, मजदूरों के खाते पर भी नजर रखते हैं जो अक्सर बैंक नहीं आते। बैंक मैनेजर की मदद से ऐसे खातों में पैसे जमा करा दिए जाते हैं। जिसका पता खाताधारक को नहीं चलता। या फिर ऐसे खातों को भी देखा जाता है जहां पिछले छह सात महीने से कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है। ऐसे खाते में जमा रकम दूसरे खातों में बाद में जमा करा दी जाती है जिससे कालाधन आसानी से सफेद हो जाता है। ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं जिसमें किसी गरीब या मजदूर के खाते में रातों रात लाखों, करोड़ों जमा हो गए। ये तो कुछ उदाहरण हैं जो अखबारों में खबर छपने के बाद सामने आए हैं। बिना जानकारी वाले तो ऐसे हजारों मामले होंगे।
आगे पढ़िए कैसे खाते होते हैं निशाने पर ...
केवाईसी से नहीं जुड़े खाते होते निशाने पर
ये माना जा रहा है कि इन तरीकों से बड़े पैमाने पर कालाधन सफेद हो गया है। बैंक की हर शाखा में कम से कम 15 से 20 प्रतिशत ऐसे खाते अवश्य होते हैं जो केवाईसी से नहीं जुड़े होते हैं। बस बैंक मैनेजर ऐसे ही खातों को अपना निशाना बनाते हैं।
गहन जांच हो तो गिरफ्त में आएंगे
ऐसा नहीं कि ऐसे लोग या बैंक के मैनेजर पकड़ में नहीं आएंगे। यदि गहरी जांच हुई तो ऐसे लोगों की गर्दन नपनी तय है। लेकिन इसके लिए ऐसे खातों की पूरी जांच करनी होगी। देश में लगभग 40 करोड़ के करीब बैंक खाते हैं। पीएम की घोषणा के बाद करीब 20 करोड़ के आसपास बैंक खाते खोले गए हैं। अब 30 दिसंबर के बाद आयकर और प्रवर्तन निदेशालय का काम ज्यादा बढ़ेगा। खातों की जांच लंबी प्रक्रिया है।
10 लाख करोड़ जमा हुए सरकारी खाते में
नोटबंदी के बाद अब तक करीब 10 लाख करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा हो चुका है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार देश में 14 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के बड़े नोट थे जिसमें दो तिहाई रकम जमा हो चुकी है। अभी जमा करने के लिए 22 दिन और बाकी है। यदि बचे पांच लाख करोड़ और जमा हो गए तो ये माना जाएगा कि मनी लांड्रिंग करने वाले अपना काम कर गए और अपने कालेधन को सफेद कर लिया है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि दो से तीन लाख करोड़ रुपए या तो गंगा या किसी नदी की भेंट चढेंगे या सर्दी में अलाव के काम आएंगे।