कुछ तो गड़बड़ है! इसलिए उद्धव के शपथग्रहण में नहीं नजर आया गांधी परिवार
महाराष्ट्र में कांग्रेस की बड़ी कूटनीतिक जीत है कि उसने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई है। कई राज्यों में विपक्षी दलों की फूट का राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलता रहा है। राहुल गांधी या सोनिया गांधी उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता का महत्त्वपूर्ण संदेश दे सकते।
मुंबई: महाराष्ट्र में कांग्रेस की बड़ी कूटनीतिक जीत है कि उसने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई है। कई राज्यों में विपक्षी दलों की फूट का राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलता रहा है। राहुल गांधी या सोनिया गांधी उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता का महत्त्वपूर्ण संदेश दे सकते। लेकिन राहुल और सोनिया ने उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखी। यह बेवजह नहीं, बल्कि पार्टी का एक सोचा-समझा कदम था।
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पार्टी खुद को शिवसेना के हिंदुत्व से दूर रखते हुए सरकार में शामिल होने का साफ संकेत अपने वोटरों को देना चाहती थी। यही कारण है कि एक तरफ तो सरकार में शामिल होकर कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता का मजबूत संदेश दिया, वहीं शपथ ग्रहण समारोह से दूरी रखकर पार्टी नेतृत्व ने अपने पारंपरिक वोटरों को यह आश्वासन भी दे दिया कि वह हिंदुत्व से दूर है।
पार्टी के नेता के अनुसार बीजेपी के विकल्प के रूप में जनता के सामने कांग्रेस का ही नाम सामने आता है। इसलिए कांग्रेस केवल महाराष्ट्र के गणित को ध्यान में रखकर नहीं चल सकती थी। उसे पूरे देश के मतदाताओं को संदेश देना था। मुस्लिम समाज के एक बड़े संगठन जामिअत-उलेमा-ए-हिंद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपील की थी कि वे महाराष्ट्र की सरकार में शिवसेना के साथ शामिल न हों क्योंकि इससे पूरे देश में गलत संदेश जाएगा। इस पत्र ने भी कांग्रेस नेतृत्व की उलझन बढ़ा दी थी।
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दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के अनुसार राजधानी के विधानसभा चुनाव हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जबरदस्त तरीके से अपने वोटरों के बीच वापसी की है। इस बढ़त में उन मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है जो राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का विकल्प हैं। इसलिए कांग्रेस ने शपथ ग्रहण समारोह से दूरी रखकर मतदाताओं के बीच एक अच्छा संकेत दिया।