Gangster Durlabh Kashyap: मध्यप्रदेश के इस बच्चे ने खड़ी कर दी गैंग, बड़ी रोचक है इसकी कहानी
Gangster Durlabh Kashyap: दुर्लभ कश्यप उज्जैन जिले के जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में 8 नवंबर, 2000 को पैदा हुआ था।दुर्लभ की माँ उज्जैन में सरकारी जॉब में थी । जबकि पिता इंदौर में रहा करते थे ।दुर्लभ माँ के क़रीब था । दुर्लभ सोशल मीडिया से फ़ेमस होना चाहता था।
Gangster Durlabh Kashyap: आपको यदि क्राइम की कहानियाँ पसंद हैं तो आप ने यह भी देखा और सुना होगा की क्राइम करने वाले गैंगस्टर का अपनी गतिविधियों को अंजाम देने का तरीक़ा भी अलग होता है । एक ऐसा ही गैंगस्टर मध्यप्रदेश में हुआ करता था । जो अपनी टीनएज में ही जुर्म की दुनिया में कदम रख चुका था । इस गैंगस्टर का नाम दुर्लभ कश्यप था । दुर्लभ का बचपन ज़्यादा अच्छा नहीं था ।दुर्लभ के माता -पिता के आए दिन होने वाले लड़ाई झगड़े ने दुर्लभ के मन में गहरा असर डाला ।दुर्लभ पढ़ाई लिखाई में उतना ध्यान नहीं देता था ।दुर्लभ सोशल मीडिया का दीवाना था ।
दुर्लभ कश्यप उज्जैन जिले के जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में 8 नवंबर, 2000 को पैदा हुआ था।दुर्लभ की माँ उज्जैन में सरकारी जॉब में थी । जबकि पिता इंदौर में रहा करते थे ।दुर्लभ माँ के क़रीब था । दुर्लभ सोशल मीडिया से फ़ेमस होना चाहता था।जिसके लिए उसने 15 साल की उम्र में ही सोशल मीडिया में हथियारों के साथ तस्वीरें डालना शुरू कर दी ।यहाँ से दुर्लभ का सफ़र शुरू हो चुका था ।अब वो अन्य ऐसे छोटे छोटे गुनाह करने वाले गैंग के सम्पर्क में आ गया और उनके साथ ही रहने लगा ।
उसने अपने सोशल मीडिया में यह भी लिखा कि विवाद निपटारे के लिए संपर्क करें।अब वो लोगो को धमकाने लगा था ।अपनी बदमाशी का प्रचार भी इससे करने लगा था । उसके पहनावे के ढंग ने अन्य टीनएजर को प्रभावित किया।वो आँखों में सूरमा , माथे पर लाल टीका , गले में काला गमछा डालता था ।इसे अन्य गैंग के लोग भी कॉपी करने लगे । दुर्लभ की फैन फॉलोइंग हर दिन के साथ बढ़ रही थी। दुर्लभ अब समझ चुका था कि सोशल मीडिया और लोगों में उसकी पहचान बन चुकी है, लोग उसे जानते हैं ।इससे उसे मजबूती मिली और वह शहर में छोटी-मोटी वारदातें करने लगा। दुर्लभ ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था।गैंग के लोग अपराध के बाद महाकाल का नाम लेते थे।
इसकी अपनी स्टाइल और ड्रेस कोड था ।दुर्लभ कश्यप गैंग किसी कॉरपोरेट कंपनी की तरह काम करता था। पर अब उज्जैन शहर में गैंग की बदमाशी बढ़ने लगी, तो पुलिस ने इन्हें उठाना शुरू किया। पुलिस ने 27 अक्टूबर, 2018 को 23 साथियों के साथ दुर्लभ को पकड़ा लिया था ।पर तब नाबालिग होने पर उसे बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया।2019 में उसे इंदौर की सुधार गृह में रखा गया ।एक साल इंदौर में रहने के बाद दुर्लभ अब बालिग़ हो चुका था ।दुर्लभ जेल के अंदर से भी गैंग चलाता था ।
बालिग़ होने पर 09 केस फिर भी दुर्लभ पर दर्ज थे ।उस समय के तत्कालीन SP ने दुर्लभ के लिए कहा था कि तेरा जेल में ही रहना सेफ़ है, तूने उमर से ज़्यादा दुश्मन बना रखे हैं । इंदौर में दो साल जेल में रहने के बाद दुर्लभ ने 2020 में इंदौर में अपना धंधा शुरू किया । पर कोरोना के लॉक डाउन होने के वजह से सब ठप हो गया और वो वापस उज्जैन अपनी माँ के पास चला गया । एक दिन दुर्लभ अपने दोस्तों को घर में खाने के लिए बुलाता है।खाने के बाद सभी दोस्त सिगरेट के लिए बाहर आते हैं । पर दुकान बंद होने के कारण सब दूसरे इलाक़े हेलावाड़ी जाते हैं ।ये वो इलाका है जहां मुस्लिम जनसंख्या ज़्यादा है ।यहाँ पर दुर्लभ के विरोधी का भी ठिकाना था ।
6 सितंबर, 2020 की रात 2 बजे सभी दोस्त वहाँ के लिए बाइक में निकल जाते हैं ।काफ़ी साल बीत जाने के बाद दुर्लभ अपने दुश्मन को उस इलाक़े में नहीं पहचान पाता है । पर उसके दुश्मन उसे मारने का पूरा प्लान किए बैठे रहते हैं ।हेलावाड़ी की सिगरेट की दुकान में छोटी सी बात पर कहा सुनी हो जाती है और सुयोजित तरीक़े से दुर्लभ कश्यप की 34 चाकुओं के वार से हत्या कर दी जाती है ।दुर्लभ की मौक़े पर ही मौत हो जाती है ।दुर्लभ के दोस्त इस दौरान उसे छोड़कर भाग गए होते हैं ।और इस दिन के बाद दुर्लभ के आतंक का अंत हो जाता है ।दुर्लभ की मौत के बाद उसकी गैंग के लोग सक्रिय नहीं है पर दुर्लभ की फ़ैन फॉलोइंग सोशल मीडिया पर बनी हुई है ।