Budget 2019: आए आर्थिक सर्वे के ये आंकड़ें सरकार को दे सकते हैं टेंशन
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। यह बजट सुबह 11 बजे संसद में पेश किया जाएगा। इससे पहले गुरुवार को आर्थिक सर्वे जारी किया गया, जिसमें मोदी सरकार की कामयाबियों की सराहना की गई थी।
नई दिल्ली: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। यह बजट सुबह 11 बजे संसद में पेश किया जाएगा। इससे पहले गुरुवार को आर्थिक सर्वे जारी किया गया, जिसमें मोदी सरकार की कामयाबियों की सराहना की गई थी। इसके साथ ही भविष्य का रोडमैप भी बताया गया। हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में कई ऐसी बड़ी बाते हैं जो देश के आर्थिक विकास के लिए चिंता और चुनौतियां हैं।
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आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2014 के बाद से औसत विकास दर 7.5% रही है, लेकिन पिछले साल ये कम होकर 6.8% रह गई है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक इस साल देश की आर्थिक विकास दर का अनुमान भी 7% ही रखा गया है। जबकि अगर भारत को 2024-25 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो 8% की विकास दर की जरूरत होगी।
8 फीसदी आर्थिक विकास दर की दरकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने खुद बताया कि देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को अगले पांच साल के दौरान आठ फीसदी आर्थिक विकास दर की दरकार है।
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इस सबके बीच कृषि क्षेत्र एक बड़ी चिंता का विषय है। कृषि क्षेत्र में धीमापन और सर्विस सेक्टर की ग्रोथ में गिरावट विकास दर न बढ़ने की अहम वजहों में एक है। इसके अलावा वित्तीय संस्थानों की खराब हालत भी आर्थिक विकास की रफ्तार में बड़ी रुकावट रही है।
बता दें कि वित्तीय संस्थानों से दिए जाने वाले कर्ज़ की रकम में वृद्धि की दर मार्च 2018 में 30% से घटकर मार्च 2019 में 9% रह गई है। इसी की वजह से अर्थव्यवस्था में निवेश की दर भी सबसे निचले स्तर पर चल रही है, जो सामान्य औसत से 19 से 20 फीसदी कम है।
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इसके अलावा मार्केट से पूंजी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। 2018-19 में इसमें 81 फीसदी की कमी आई है। मैन्यूफैक्चरिंग में छोटी कंपनियां 10-10 साल पुरानी होने के बावजूद पर्याप्त विकास नहीं कर पा रही हैं। जबकि 100 से कम कर्मचारियों वाली छोटी कंपनियों की संख्या मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 50% से भी ज्यादा है।
सर्वे में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोग से देशभर में पर्याप्त निजी निवेश लाना वास्तवकि चुनौती है। भौतिक बुनियादी ढांचे के साथ ही सामाजिक बुनियादी ढांचे का प्रावधान भी उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दोनों ही निर्धारित करेंगे कि भारत को 2030 में विश्वस्तर पर किस स्थान पर रखा जाएगा।