किसानों को कर्ज देकर करेंगे कृषि क्षेत्र में सुधार, पशुपालन व मत्स्य पालन पर जोर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में बताया कि सरकार ने आकांक्षी भारत निर्माण के लिए तीन क्षेत्रों पर विशेष फोकस किया है। इसमें कृषि, सिंचाई व ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, पानी व स्वच्छता के अलावा शिक्षा व कौशल को शामिल किया गया है।

Update: 2021-02-01 08:19 GMT
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में बताया कि सरकार ने आकांक्षी भारत निर्माण के लिए तीन क्षेत्रों पर विशेष फोकस किया है।

अखिलेश तिवारी

नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के तीव्र विरोध को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि केंद्र सरकार अपने बजट में किसानों को खुश करने की कोशिश करेगी लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की कृषि क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी घोषणा भी पुरानी साबित हुई। सरकार पहले ही एलान कर चुकी है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड दिलाया जाएगा। बजट में भी वित्त मंत्री ने यही बात दोहराई है। कृषि, ग्रामीण विकास और सिंचाई पर बजट में दो लाख 83 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया।

किसानों के लिए केसीसी, सोलर पंप योजना के अलावा दूसरा बड़ा एलान बागवानी को बढ़ावा देने के लिए मालगोदाम स्थापना का प्रस्ताव है। तमिलनाडु में एक लाख करोड़ रुपये हाइवे विकास पर खर्च करने के प्रस्ताव को देखें तो देश की 60 फीसद आबादी को रोजगार देने वाले कृषि क्षेत्र के लिए प्रस्ताव बेहद मामूली है।

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6.11 करोड़ किसानों का बीमा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में बताया कि सरकार ने आकांक्षी भारत निर्माण के लिए तीन क्षेत्रों पर विशेष फोकस किया है। इसमें कृषि, सिंचाई व ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, पानी व स्वच्छता के अलावा शिक्षा व कौशल को शामिल किया गया है। कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई और संबंध कार्यों पर 2.83 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।

किसान और ग्रामीण गरीबों पर सरकार मुख्य रुप से ध्यान देना जारी रखेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 6.11 करोड़ किसानों का बीमा कराया गया है।

फोटो-सोशल मीडिया

केंंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत हर साल लगभग 14 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचा रही है ऐसे में समझा जा सकता है कि फसल बीमा योजना का लाभ अब तक आधे किसानों को भी नहीं मिल पाया है। ऐसे में देश के सात करोड़ से ज्यादा किसान हर साल अपनी फसलों को लेकर अनिश्चित जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।

किसानों को कर्ज देने की तैयारी

कृषि क्षेत्र के उत्थान लिए जो सबसे बड़ा प्लान वित्त मंत्री ने बजट में दिया है वह 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपए के ऋण का लक्ष्य है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि लगभग एक करोड़ किसानों को एक लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज देने की तैयारी है लेकिन इस कर्ज व्यवस्था से कृषि क्षेत्र का कितना विकास होगा, कर्ज कैसे दिलाया जाएगा। इन सवालों के जवाब भविष्य में ही मिलेंगे।

सिंचाई की सुविधा से देश के 100 जिले जूझ रहे हैं। वित्त मंत्री ने इनके लिए व्यापक उपाय करने की घोषणा की है और कहा कि बीस लाख किसानों को पीएम कुसुम योजना के तहत सौर पंप दिलाए जाएंगे इसके अलावा अन्य 15लाख किसानों को उनके ग्रिड से जुड़े पंपसेट को सौर ऊर्जा आधारित बनाया जाएगा।

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कृषि उत्पाद मार्केट पर ध्यान

फोटो-सोशल मीडिया

कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिए राज्यों की सहायता करने का प्रस्ताव है इसके तहत एक उत्पाद एक जिला पर विशेष ध्यान देंगे । विकास खंड स्तर पर बागवानी क्षेत्र में माल गोदाम स्थापित करने का प्रस्ताव है।

2025 तक दूध दुग्ध प्रसंस्करण की दुगनी क्षमता करने का लक्ष्य है और एकीकरण स्वयं सहायता समूह द्वारा ग्राम भंडारण योजना का शुभारंभ किया जाएगा। 2025 तक मवेशियों के खुर और मुंह में होने वाली बीमारी तथा भेड़ और बकरियों में होने वाली बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

मछली पालन का विस्तार

कृत्रिम गर्भाधान का कवरेज 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत और चारागाह विकसित करने के लिए मनरेगा को जोडऩे का एलान किया है। 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 से बढ़ाकर 108 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। मत्स्य उत्पादन 2022- 23 तक बढ़ाकर 216 टन करने का प्रस्ताव है 3477 सागर मित्रों और 500 मत्स्य पालक उत्पादक संगठनों के माध्यम से मछली पालन का विस्तार किया जाएगा।

20 24-25 तक मछली का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये तक करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे सरकार समुद्री किनारों के राज्यों में विकास का सपना देख रही है। लेकिन परंपरागत खेती और किसानी के लिए सरकार के पास बजट में कोई बड़ा रोडमैप नहीं दिखाई दिया।

कर्ज व्यवस्था कुछ इस तरह की है जो व्यवसायिक संस्थाओं को कृषि क्षेत्र में आने के लिए लुभाएगी लेकिन छोटा किसान इससे फायदा उठाने में कामयाब नहीं होगा।

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