Vande Bharat Express: भारत में अब 11 वंदे भारत, आखिर पीएम मोदी ही क्यों दिखाते हैं इस ट्रेन को हरी झंडी?

Vande Bharat Express: 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पीएम मोदी ने पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी।

Update:2023-04-04 17:28 IST
Vande Bharat Express (photo: social media )

Vande Bharat Express: भारत आज दिन प्रति दिन तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है। चाहे वह तकनीक का क्षेत्र हो, संचार या परिवहन या कोई अन्य। देश हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। भारत में अब हाइस्पीट ट्रेनें भी कई हो गई हैं। आज कल वंदे भारत ट्रेन काफी चर्चा में है। कुछ दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल से एक और वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। ये ट्रेनें लोगों में भी काफी लोकप्रिय हैं।

15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पीएम नरेंद्र मोदी ने प्लेटफॉर्म से जैसे ही हरी झंडी दिखाई देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चल पड़ी। वहीं 1 अप्रैल 2023 को भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पीएम मोदी के हरी झंडी दिखाते ही मध्य प्रदेश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस चल पड़ी। इन दोनों तारीखों के बीच में चार साल का अंतर है। यहां बड़ी बात यह है कि इन चार साल में देशभर में 11 वंदे भारत ट्रेनें लांच हो चुकी हैं। इनमें से 10 को तो खुद पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाई है। जल्द ही पांच और रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन लांच करने की तैयारी चल रही है। यह भी माना जा रहा है कि इनका उद्घाटन भी पीएम नरेंद्र मोदी ही करेंगे।

आइए जानते हैं वंदे भारत की कहानी और क्यों इसे पीएम मोदी ही दिखाते हैं हरी झंडी

बात 2017 की है। सुधांशु मणि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई के जीएम बने। यह फैक्ट्री दुनिया की सबसे ज्यादा कोच बनाने वाली फैक्ट्री में से एक है, लेकिन अब से पहले जो कोच बन रहे थे वे सब पुराने ढर्रे के बन रहे थे। सुधांशु ने यहां आते ही एक एडवांस ट्रेन बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया।

सुधांशु ने नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर एक ऐसी ट्रेन बनाना शुरू कर दिया, जिस पर पूरा देश गर्व कर सके। लेकिन उनके लिए यहीं सबसे बड़ा चैलेंज आया, मंत्रालय से अप्रूवल का। उनकी टीम ने कहा कि हम सब तो तैयार हैं, बस आप मंत्रालय की मंजूरी ले आइए।

और केवल 18 महीने में ही तैयार कर दी ट्रेन

सुधांशु हर तरह से कोशिश की, लेकिन उसके बाद भी काम नहीं हुआ। फिर क्या था ट्रेन विदेश से बनवाने की बात होने लगी। लेकिन वहीं सुधांशु ने यह दावा किया कि विदेश से एक तिहाई कीमत में और आधे समय में हम ये ट्रेन बना देंगे। आखिरकार सुधांशु की जीत हुई और उन्हें मंत्रालय से अप्रुवल मिल गया। प्रोजेक्ट का नाम दिया गया ट्रेन 18। उन्होंने केवल 18 महीने में ये ट्रेन तैयार कर दी। बाद में इसका नाम वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। पीएम मोदी ने 15 फरवरी 2019 को पहली वंदे भारत ट्रेन नई दिल्ली से वाराणसी के बीच लॉन्च की।

दुनिया में चैथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का है। यहां 1.25 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर हर रोज 11 हजार से अधिक ट्रेनें दौड़ती हैं। इन ट्रेनों से करीब 3 करोड़ लोग डेली सफर करते हैं। इतना बड़ा और लोगों से जुड़ा होने के करण ही भारत में रेलवे का अलग बजट ही पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में मोदी सरकार ने 92 साल पुरानी इस प्रथा बंद कर दिया अब आम बजट में ही रेल बजट भी समाहित कर दिया गया है।

रेलवे का है राजनीतिक महत्व, जाने कैसे

भारत की आजादी के बाद 75 साल में 17 बार लोकसभा के चुनाव हुए। इस दौरान देश में 15 प्रधानमंत्री जबकि 45 रेल मंत्री बने। केवल बाबू जगजीवन राम और लालू प्रसाद यादव ही ऐसे दो रेल मंत्री रहे, जिन्होंने अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। ऐसा माला जाता है कि इसका कारण राजनीतिक है। जब गठबंधन की सरकार बनती है तो देखा जाता है कि छोटी पार्टियों को रेलवे मिनिस्ट्री ऑफर कर दी जाती है। ऐसा इसलिए कर दिया जाता है क्योंकि ये आम लोगों से जुड़ा विभाग होता है। वहीं छोटी पार्टियों के नेता लोक-लुभावन रेलवे योजनाओं के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

यह है इस ट्रेन की खासियत

सेमी हाई-स्पीड ट्रेन वंदे भारत केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वंदे भारत एक्सप्रेस स्वदेश में बनी हुई ट्रेन है। इसकी डिजाइन अपने आप में अनोखी है। यह ट्रेन दो शहरों के बीच कम समय में सफर तय करती है। यह ट्रेन कई तरह की आधुनिक सुविधाओं से लैस है। अब यह ट्रेन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रही है। इससे लोगों की जिंदगी आसान हो रही है। उनका सफर सुगम हो रहा है। अब यह ट्रेन लोगों की पसंदीदा भी बन गई है। जानकारों की मानें तो यही वजह है की पीएम मोदी खुद वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा रहे हैं।

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