नई दिल्ली: कानून मंत्रालय ने वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने की अनुमति दे दी है। चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में इस तरह का प्रस्ताव भेजा था, जिसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मान लिया है। चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 नंबर वाले आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए उसे कानूनी अधिकार चाहिए। कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग की ओर से आए सुझाव को मान लिया है। लेकिन कानून मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है इस प्रोसेस में डेटा चोरी होने से रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
एक खबर के मुताबिक, आधार कार्ड को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ हामी भरी है। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब चुनाव आयोग को वोटर आईडी के साथ आधार कार्ड लिंक करने का कानूनी अधिकार मिल सकता है।बता दें कि चुनाव आयोग ने इससे पहले फरवरी 2015 में आधार को मतदाता फोटो पहचान पत्र (या ईपीआईसी) से जोड़ने की कवायद शुरू की थी। उस समय एच एस ब्रह्मा मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
यह पढ़ें...CAA पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त, चौराहों पर लगाये ऐसे पोस्टर
डुप्लीकेट इंट्री और फर्जी लोगों से छुटकारा
लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), एलपीजी और केरोसिन वितरण में आधार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के की वजह से अगस्त में यह कवायद निलंबित कर दी गई। लेकिन चुनाव आयोग ने इससे पहले ही आधार से 38 करोड़ वोटर कार्ड लिंक कर लिए था। अगस्त 2019 में चुनाव आयोग ने कानून सचिव को एक पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और आधार अधिनियम 2016 में संशोधन के लिए प्रस्ताव दिया था। ताकि, मतदाता सूची में भी गड़बड़ियों से बचा जा सके। जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) मतदाताओं से मतदाता लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए उनसे आधार नंबर मांग सकता है।
चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि आधार के साथ मतदाता कार्डों की सीडिंग से डुप्लीकेट इंट्री और फर्जी मतदाताओं को बाहर निकालने में मदद मिलेगी और यह राष्ट्र के हित में है।रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग का कहना था कि ऐसा करने से फर्जी वोटरों पर लगाम लगेगी। सभी पुराने और नए वोटर कार्ड धारकों को अपना आधार नंबर भी देना होगा। अगर कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो भी उसका नाम वोटर लिस्ट से हटाया नहीं जा सकता है और न ही उसे लिस्ट में शामिल होने से रोका जा सकता है।
यह पढ़ें...इन दो को समर्पित किया SAIL ने अपना स्थापना दिवस, किया ये काम
आधार से वोटर आईडी कार्ड के लिंक होने से फर्जी वोटरों पर लगाम लगेगी। इससे बोगस वोटरों पर अंकुश लगेगा देश भर में विभिन्न राजनीतिक पार्टियां ने भी अगस्त में हुई बैठक में आधार से वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने पर सहमति जताई थी। चुनाव आयोग ने 12 दिसंबर को पत्र लिखकर कहा कि उसने इस तरह के डाटा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की हैं। आयोग ने कहा कि वो आवेदन के वक्त ही दो तरह से डाटा को वैलिडेट करेगा। किसी भी तरह से आधार का डाटा वोटर डाटाबेस में नहीं जाएगा।
इसके लिए केंद्र सरकार आधार एक्ट 2016 और जनप्रतिनिधि कानून में बदलाव करेगी। इसके लिए संसद में बिल लाया जाएगा, जिसके बाद वहां से मुहर लगने के बाद ऐसा हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए आधार अनिवार्य है। इसके अलावा भी आधार मांगा जा सकता है लेकिन वह अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसमें आधार की गोपनीयता सुरक्षित रखने को कहा था।