Wayanad Landslide : ग्राउंड जीरो पर न कोई धर्म न कोई पॉलिटिक्स, सिर्फ बचाव में जुटे लोग

Wayanad Landslide: यहां सिर्फ एक ही फोकस है - तलाशी अभियान, बचाव और राहत। यह एक बार फिर दर्शाता है कि संकट के समय केरलवासी राजनीति और धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होते हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-08-03 13:22 GMT

Wayanad Landslide- (  Social- Media- Photo)

तिरुवनंतपुरम। वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के बाहर भले ही लोग आपदा के अलर्ट और आपदा के कारणों पर बहस कर रहे हों लेकिन आपदा स्थल यानी ग्राउंड जीरो पर ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां सिर्फ एक ही फोकस है - तलाशी अभियान, बचाव और राहत। यह एक बार फिर दर्शाता है कि संकट के समय केरलवासी राजनीति और धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होते हैं।

ढेरों संगठन एकजुट

सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, तटरक्षक, पुलिस, अग्निशमन और बचाव सेवाओं और सिविल सेवा स्वयंसेवकों के अलावा, यूथ केयर, एसवाईएस (सुन्नी यूथ समागम), एसकेएसएसएफ (समस्त केरल सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन), डीवाईएफआई (डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया) और राष्ट्रीय सेवा सेवा भारती जैसे कई संगठन भी खोज और बचाव प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं। ये संगठन पड़ोसी जिलों से 1,000 से अधिक स्वयंसेवकों को लेकर आए हैं, जो जीवन की तलाश में कीचड़ और मलबे को खंगाल रहे हैं। सेना ने तो स्वयंसेवकों के समर्पण की सराहना की है। 509 सदस्यीय सेना दल का नेतृत्व कर रहे मेजर जनरल वी टी मैथ्यू ने कहा, "राज्य एजेंसियों, सेना और स्वयंसेवकों के बीच समन्वय बहुत अच्छा है और इससे बचाव अभियान के सुचारू संचालन में मदद मिली है।"


एक्टर मोहनलाल ने 3 करोड़ दिए

केरल के जाने-माने अभिनेता मोहनलाल, जो भारतीय प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल भी हैं, सेना की वर्दी पहन कर भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र पहुंचे। उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्र के पुनर्वास कार्यों के लिए तीन करोड़ रुपये देने का संकल्प लिया। मेप्पाडी में सेना के शिविर में पहुंचे मोहनलाल ने अधिकारियों के साथ संक्षिप्त चर्चा की और बाद उन्होंने चूरलमाला, मुंडक्कई और पुंचिरिमट्टम सहित अन्य स्थानों का दौरा किया। मीडिया से बात करते हुए मोहनलाल ने कहा कि आपदा की भयावहता को केवल प्रत्यक्ष रूप से देखकर ही समझा जा सकता है।


अंतिम संस्कार में मदद

केरल के विभिन्न संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने भूस्खलन में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार में आगे बढ़ कर मदद की है। लोगों की अंत्येष्टि उनके धर्मों के अनुरूप की जा रही है। इस काम में किसी से कोई भी पैसा नहीं लिया जा रहा है।

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