44 साल का टूटेगा रिकॉर्ड: जल्द आएगी ठंड, पूरे एक महीने होगी बारिश, ये है बड़ी वजह

इस साल पूरे देश में अगस्त के महीने में अधिक बारिश, हवा की दिशा में परिवर्तन और समुद्र की सतह का पानी ठंडा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ला नीना का संकेत हो सकता है।

Update: 2020-08-31 15:26 GMT
अगस्त के महीने में अधिक बारिश, हवा की दिशा में परिवर्तन और समुद्र की सतह का पानी ठंडा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ला नीना का संकेत हो सकता है।

नई दिल्ली: देश के कई राज्य बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं। कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है जिसके बाद बाढ़ आ गई है। बाढ़ से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। अब इस बीच खबर आ रही है कि इस साल मौसम 44 साल बाद अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल ठंड भी जल्द आएगी। इसके साथ ही पूरे सितंबर महीने तक जमकर बारिश हो सकती है। इस साल पूरे देश में अगस्त के महीने में अधिक बारिश, हवा की दिशा में परिवर्तन और समुद्र की सतह का पानी ठंडा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ला नीना का संकेत हो सकता है।

एक मीडिया रिपोर्ट में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया है कि इस बार सर्दी जल्दी और अधिक पड़ने की संभावना है। तो वहीं पूरे सितंबर में बारिश होने की संभावना है।

लखनऊ में बारिश (फाइल फोटो: Newstrack)

यह भी पढ़ें...चीन को याद आ रहे डॉक्टर कोटनिसः कांस्य प्रतिमा का अनावरण अगले महीने

ला नीना के सक्रिय होने के संकेत

मौसम वैज्ञानित सुनील पांडेय के मुताबिक, अगस्त में हुई बारिश ने बीते 44 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हवा में भी 3 दिन से ठंडक महसूस की जा रही रही है। इससे ला नीना के सक्रिय होने की पूरी संभावना बनी हुई है।

यह भी पढ़ें...PM मोदी ने प्रणब मुखर्जी के साथ शेयर की ये तस्वीर, बताया- विद्वान और स्टेट्समैन

उन्होंने बताया कि ला नीना का असर इंडोनेशियाई क्षेत्र, मैक्सिको की खाड़ी, दक्षिणी अमेरिका समेत कई द्वीप पर होगा। भारत के दक्षिण क्षेत्र में भी ठंड महसूस की जाएगी, लेकिन अब तक मौसम विभाग ने कोई घोषणा या अलर्ट जारी नहीं किया है।

यह भी पढ़ें...नक्सलियों ने की ASI की हत्या: इस हालत में मिला शव, गांव में दहशत और मातम

जानिए किसे कहते हैं ला नीना

मानसून का रुख तय करने वाली समुद्री धारा को ला नीना कहते हैं। सात से आठ साल में अल नीनो के बाद ऐसी घटना होती है। अल नीनो में समुद्र की सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, जबकि ला नीना में समुद्र की सतह का तापमान कम हो जाता है। ला नीना सक्रिय होने के पीछे हवा की दिशा में बदलाव है। इसमें समुद्री क्षेत्रों में हवा की रफ्तार 55 से 60 किमी होती है, तो वहीं मैदानी क्षेत्रों में यह 20 से 25 किमी की रफ्तार से चलती है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News