Weather: नवंबर महीने में गर्मी ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, अभी भी ठण्ड का नहीं है नामोनिशान

Weather Update: तेरह साल पहले दिल्ली में इसी महीने के दौरान अधिकतम तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-11-09 13:39 IST

Weather Update (photo: social media )

Weather Update: उत्तर भारत में इन दिनों मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। अधिकांश शहरों की आबोहवा जहरीली हो चुकी है। प्रदूषण का असर मौसम पर भी दिखने लगा है। नवंबर माह आने के बावजूद तापमान चढ़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि 2008 के बाद सर्वाधिक है। तेरह साल पहले दिल्ली में इसी महीने के दौरान अधिकतम तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

वहीं, पंजाब के लोग भी इससे परेशान हैं। पिछले 10 सालों के रिकॉर्ड के मुताबिक, नवंबर माह में पंजाब में न्यूनतम तापमान गिरकर 10 से 12 डिग्री पर पहुंच जाता था। वहीं, इस बार पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि न्यूनतम तापमान 16 डिग्री से नीचे नहीं गया है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस को इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है। जिसके कारण रात का पारा कम होने की बजाय 16-17 डिग्री तक रिकॉर्ड हो रहा है।

सर्द मौसम के लिए करना होगा और इंतजार

मौसम विभाग के मुताबिक, सर्दियों की प्रतिक्षा कर रहे लोगों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। नवंबर माह में देश के अधिकांश हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। गर्मी के अधिक दिनों तक टिके रहने की वजह उत्तर भारत से मॉनसून की देर से विदाई है। इस साल दक्षिण – पश्चिम मॉनसून सामान्य समय से एक हफ्ते बाद (23 अक्टूबर) विदा हुआ था।

बता दें कि उत्तर भारत में सर्दियों का असर नवंबर के मध्य से महसूस होना शुरू हो जाता है, जब न्यूनतम तापमान धीरे-धीरे 15 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है। फिलहाल उत्तर भारत के अधिकांश इलाकों में तापमान 15 से ऊपर बना हुआ है और आने वाले दिनों में इसके और बढ़ने के आसार हैं।

मार्च में जल्दी आ गई थी गर्मी

साल 2022 को गर्म साल के तौर पर याद किया जाएगा। क्योंकि इस साल गर्मी भी काफी जल्दी आ गई थी। मार्च के महीने में ही आसमान से आग के गोले बरसने शुरू हो गए थे। कम ठंड पड़ने के कारण गेहूं के फसल को भी नुकसान पहुंचा था। ऐसे में अगर फिर सर्द मौसम का चक्र गड़बड़ता है जो इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव किसानों को झेलना पड़ेगा।

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