जानिए क्या है अनुच्छेद 35ए, जिसे लेकर जम्मू-कश्मीर की सियासत में मचा है बवाल

अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। इसे जम्मू-कश्मीर में 14 मई 1954 को लागू किया गया था। यह अनुच्छेद लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था।

Update: 2019-08-02 13:37 GMT

लखनऊ: अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। इसे जम्मू-कश्मीर में 14 मई 1954 को लागू किया गया था। यह अनुच्छेद लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था। इसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1954 को लागू किया था। राष्ट्रपति द्वारा पारित आदेश के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया।

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अनुच्छेद 35 ए धारा 370 का हिस्सा है जिसके तहत जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता इसके साथ ही वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता।

जम्मू-कश्मीर का नागरिक वो ही माना जाएगा जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इसके दौरान वहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो। अगर जम्मू-कश्मीर की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो न सिर्फ उसके सारे अधिकार समाप्त हो जाएंगे बल्कि उसके बच्चों को भी किसी तरह के अधिकार नहीं मिलेंगे।

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तर्क दिया जाता है कि 35 ए के ही कारण बंटवारे के समय पाकिस्तान से आए शरणार्थी आज भी राज्य के मौलिक अधिकार और अपनी पहचान से वंचित हैं।

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