वाट्सएप विवाद: सामने आई ये 20 बड़ी हस्तियां, बताया- कैसे हुई थी उनकी जासूसी

वाट्सएप के जरिए देश के बड़े वकील, भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। इस बात का खुलासा अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने किया है।

Update:2019-11-01 12:59 IST

नई दिल्ली: वाट्सएप के जरिए देश के बड़े वकील, भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। इस बात का खुलासा अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने किया है।

वाट्सएप ने भी माना है कि लोकसभा चुनावों के दौरान इज़रायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी की गई। अभी तक इस मामले में 20 लोगों के नाम सामने आ चुके हैं जिनकी जासूसी की गई थी। अब खबरें ऐसी भी आ रहीं हैं कि इसकी संख्या और भी बढ़ सकती है।

आइये जानते हैं उन शख्सियतों के बारे में, जिनके वाट्सएप की जासूसी की गई और उनका इस पूरे मामले पर क्या कुछ कहना है?

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कौन-कौन लोग हुए शिकार

अभी तक सामने आईं रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 20 नागरिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी जासूसी हुई है। यह बात उन्होंने व्हाट्सएप के हवाले से कही है।

जिन लोगों की जासूसी हुई है उनमें संतोष भारतीय, प्रधान संपादक(चौथी दुनिया), निहाल सिंह राठौड़(भीमा-कोरेगांव केस के वकील) बेला भाटिया(छत्तीसगढ़ में काम करने वालीं दलित एक्टिविस्ट),शालिनी गेरा(छत्तीसगढ़ में काम करने वालीं वकील), आनंद तेलतुंबड़े(एकेडमिक), शुभ्रांशु चौधरी(बीबीसी के पूर्व पत्रकार), आशीष गुप्ता(दिल्ली के पीयूसीएल एक्टिविस्ट), सरोज गिरी( दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर), सिद्धांत सिब्बल- (पत्रकार) राजीव शर्मा,(स्वतंत्र पत्रकार) का नाम शामिल हैं।

क्या कहना हैं जासूसी के शिकार लोगों का?

बेला भाटिया

इसका शिकार हुईं सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया का कहना है कि इस तरह का चीजें निजता का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि मुझे जासूसी की जानकारी कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के सिटिजन स्लैब डिपार्टमेंट से मिली है। उन्हें जानकारी दी है कि इसके पीछे देश की सरकार ही जिम्मेदार है।

बता दे कि बेला भाटिया छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकारों के लिए काम करती हैं। पहले भी आदिवासियों के हक के लिए आवाज उठाने पर भाटिया पर हमला हो चुका है और उन्हें धमकी भी मिली थी। उन्हें ‘नक्सलियों का हमदर्द’ करार दिया जाता रहा है।

संतोष भारतीय

लोकसभा के पूर्व सांसद और दिग्गज पत्रकार, संतोष भारतीय का कहना है कि उन्हें लगभग दो दिन पहले अपने फोन पर संभावित हैक के बारे में व्हाट्सएप से अलर्ट मिला था।

भारतीय ने कहा कि सिटीजन लैब के एक सदस्य ने उन्हें पहले एक संदेश भेजा था, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया था। “उन्हें लगा कि वह एक हैकर था।”

संतोष भारतीय ने कहा, “मुझे नहीं पता कि मुझे क्यों निशाना बनाया गया, मैं छोटा पत्रकार हूं, बड़ा नहीं।” लेकिन शायद वे निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं।”

जब उनसे पूछा गया कि वह किसका जिक्र कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा “भारत सरकार या जिसने भी ऐसा किया होगा।”

निहाल सिंह राठौड़

भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सुरेंद्र गडलिंग का केस लड़ रहे नागपुर के वकील, निहाल सिंह राठौड़ का कहना है कि 2017 और 2019 में रुक-रुक कर उन्हें +31 और +45 से शुरू होने वाले नंबरों से कई वीडियो कॉल्स आईं।

‘मुझे एक सिंगल नंबर से वीडियो कॉल्स आती थीं और फिर कुछ सेकेंड बाद ही उसमें एक और नंबर ऐड हो जाता था। ऐसा कई बार हुआ, मुझे शक हुआ और मैंने फोन नहीं उठाया।

वकील जगदीश मेश्राम और ‘कोर्ट’ फिल्म में दिखाई दिए एक्टिविस्ट-एक्टर वीरा साथीदार ने भी बताया कि उन्हें भी ऐसी वीडियो कॉल्स और अनजान नंबरों से मेल आए थे।

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शालिनी गेरा

छत्तीसगढ़ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की सचिव और वकील शालिनी गेरा को भी सिटिजन लैब और वाट्सएप से स्पाइवेयर अटैक का शिकार बनने का मैसेज आया था।

गेरा इससे पहले जगदलपुर लीगल ऐड नाम के ग्रुप के साथ काम कर चुकी हैं। यह ग्रुप ऐसी महिला वकीलों का है जो नक्सलियों से जुड़े मुकदमों में ‘फंसाए’ गए आदिवासियों को मुफ्त लीगल सर्विस देता है।

आनंद तेलतुंबड़े

भीमा कोरेगांव में एक और आरोपी आनंद तेलतुंबड़े भी इस स्पाइवेयर अटैक के शिकार हुए। उन्होंने बताया, ‘कंपनी ने खुद ही बताया है कि वो लाइसेंस सिर्फ सरकार और उसकी एजेंसी को बेचती है। तो ये साफ है कि कौन हमारी जासूसी कर रहा है। ये मैलवेयर आपके फोन में घुसकर हर वक्त आपकी जासूसी कर सकता है, जब आप घर पर होंगे, या जब अपने दोस्तों और परिवार के साथ होंगे. ये तानाशाही से भी बदतर है।’

शुभ्रांशु चौधरी

छत्तीसगढ़ में एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रहे बीबीसी के पूर्व पत्रकार, शुभ्रांशु चौधरी का कहना है कि उन्हें भी सिटिजन लैब ने जासूसी के बारे में बताया था। उन्हें इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि वो बस्तर में शांति बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं।

आशीष गुप्ता

दिल्ली के पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स एक्टिविस्ट आशीष गुप्ता ने बताया कि जुलाई में उन्हें कई वाट्सएप ग्रुप से जबरन निकाल दिया गया था।

सिर्फ इतना ही नहीं, जिस ग्रुप के वो एडमिन थे, उस ग्रुप से भी उन्हें हटा दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘उस वक्त मैंने इसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा ये कोई टेक्निकल खामी है, लेकिन अब मैं ये सोचने पर मजबूर हूं कि क्या ये जासूसी से जुड़ा हुआ है।’

सरोज गिरी

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर, सरोज गिरी को भी सिटिजन लैब ने उनके फोन में पैगेसस वायरस होने के बारे में बताया था।

सिद्धांत सिब्बल

विओन न्यूज चैनल में काम कर रहे पत्रकार सिद्धांत सिब्बल भी इस स्पाइवेयर अटैक का शिकार हुए थे।

राजीव शर्मा

स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा का कहना है कि उन्हें भी कुछ समय पहले सिटिजन लैब ने कॉल कर बताया था कि मार्च से मई के बीच उनका फोन सर्विलांस पर था। सिटिजन लैब ने मुझे सुझाव दिया कि अगर मैं अपना फोन बदल लूं तो वो वो ज्यादा सुरक्षित रहेगा, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया।’

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